सरकार गाँव गरीबों के तमाम कल्याणकारी योजनाएं बनाकर उन्हें लागू करती है।इन योजनाओं को मूर्ति रुप देने की जिम्मेदारी शासन प्रशासन में बैठे जिम्मेदार लोगों की होती है।गरीबों के हित में बनाई जाने वाली इन योजनाओं में पात्रों का चयन करने के लिये समय समय पर वीपीएल सूची,आवासविहीन सूची, आर्थिक गणना आदि कराती है।इन लाभार्थियों का चयन घर घर जाकर और ग्राम पंचायत की खुली बैठकों में किया जाता है और वहीं सूची सरकारी महत्वपूर्णअभिलेख का स्वरूप धारण कर लेती है। पात्रों का चयन करके सूचीबद्ध करने में हुयी जरा सी चूक गरीब पात्र के भविष्य के लिए मुसीबत बन जाती है क्योंकि उसमें जल्दी सुधार नहीं हो पाता है।सरकार की इन लाभकारी योजनाओं का लाभ आज की गंदी अवसरवादी राजनीति के चलते समान रूप से सभी पात्रों को नही मिल पाती है। सन् दो हजार दो बनी दूषित वीपीएल एवं आवासविहीन सूची इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है जिसमें पात्रों की जगह अपात्रों को पात्र बना दिया जा रहा था।विरोध होने पर पात्रता सूची में शामिल लोगों को सीधे लाभ देने की जगह पहले सत्यापन जाँच की व्यवस्था शुरू कर दी थी लेकिन जब सत्यापन के बावजूद मनमानी नहीं बंद हुयी तो सन् दो हजार ग्यारह में एनजीओ की मदद से आर्थिक गणना करायी गयी थी।यह आर्थिक गणना एनजीओ से शायद इसलिए कराई गयी थी ताकि गाँव की राजनीति हावी न होने पाये और गंगाजल की तरह पाक निष्पक्ष सूची बन सके लेकिन गरीबों का दुर्भाग्य है कि यह सूची भी गांव की राजनीति की भेंट चढ़ गयी और सरकारी कर्मचारी की तरह एनजीओ भी उसमें शामिल हो गये।इस समय गाँव गरीबों के चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन इस आर्थिक गणना सूची के आधार पर किया जा रहा है और यही सूची वीपीएल एवं आवासीय पात्रता सूची, गैस योजना जैसी तमाम योजनाओं का माध्यम बन रही है।अभी जल्दी ही सरकार ने गरीबों के स्वास्थ्य सुरक्षा सहायता के रुप में गरीबों की मुफ्त चिकित्सा के लिए आयुष्मान चिकित्सा बीमा योजना की शुरुआत की गई है जिसमें पात्रों का चयन आर्थिक गणना सूची के आधार पर किया जा रहा है। इन सूचियों से अपात्रों को जाँच करके बाहर तो किया जा सकता है लेकिन किसी पात्र को शामिल नहीं किया जा सकता है। अभी पिछले दिनों प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देने के समय सूची से छूटे पात्रों के नाम शामिल करने के निर्देश प्रधानमंत्री ने दिये थे जिसके आधार पर बच गये आवासविहीन लोगों के नाम एक नयी सूची बनाकर शामिल कर लिया गया है। इस समय एक फिर आर्थिक गणना सूची गाँवों में विवाद का कारण बन गयी है और तमाम पात्र गरीबों को योजना का लाभ सूची में नाम न होने के कारण नहीं मिल पा रहा है।लोगों ने प्रधान और सचिव का जीना हराम कर दिया है और सूची से नाम गायब होने की सारी जिम्मेदारी इन दोनों मढ़ दी गयी है जबकि सूची इन दोनों के कार्यकाल में नही बनी है। अगर सूची शामिल होने से छूटे लोगों को सूची में शामिल नहीं किया गया तो सरकार की कल्याणकारी स्वास्थ्य सहायता योजना के लाभ से तमाम लोगों वंचित रह जायेंगे। स्वास्थ्य बीमा योजना के लाभ के लिये सूची में संशोधन जनहित में जरूरी हो गया है। धन्यवाद।। भूलचूक गलती माफ।। सुप्रभात / वंदेमातरम् / गुडमार्निंग / नमस्कार / अदाब / शुभकामनाएं।। ऊँ भूर्भुवः स्वः -------/ ऊँ नमः शिवाय।।।
भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी
रामसनेहीघाट, बाराबंकी यूपी।
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Friday, May 4, 2018
गरीबों की हितकारी योजनाओ पर खाश रिपोर्ट
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