अपने बच्चों को अनुशासन में रहना सिखाएं लेकिन डराएं नहीं क्योंकि

आज के दौर में कुछ माता पिता अपने बच्चों को अपने कंट्रोल में रखने के लिए उनके दिल में डर भर देते हैं जबकि उन्हें यह मालूम ही नहीं होता कि बच्चों के दिल में भरा जाने वाला यही डर आगे चलकर आपके बच्चों का भविष्य चौपट कर सकता है और उस दर से आपके बच्चे का निकलना मुश्किल हो सकता है इसलिए अपने बच्चों से डिसिप्लिन और तरीके से बात करें जिससे वह आपकी बात को समझेंगे और मानेंगे भी आपको बताते चलें कि कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जिन्हें संभालना थोड़ा मुश्किल होता है खासतौर पर हाय पर एक्टिव बच्चे जो किसी की भी बात जल्दी नहीं सुनते परंतु उसका यह अर्थ कतई नहीं है कि आप उनके मन में बेवजह का डर भर दे जरा ने से पहले यह सोच ले कि आप अपने बच्चे को खुद ही धरना सिखा रहे हैं जबकि आपको उन्हें तो निडर बनाना चाहिए क्योंकि वह अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना आसानी से कर सकें अपने बच्चों को कभी भी भूत प्रेत शेर पुलिस आदि का एग्जांपल नहीं देना चाहिए क्योंकि इस तरीके के डर के आपके बच्चे पर आने वाले समय में दुष्परिणाम भी देखे जा सकते हैं डर के कारण आपके बच्चे के मन में असुरक्षा की भावना घर कर जाती है जोश के व्यक्तित्व के विकास में बाधक होती है ऐसे बच्चे ज्यादातर बड़े होकर भी डरे सहमे से रहते हैं ऐसे बच्चों में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है और वह डर के कारण स्कूल की एक्टिविटी में भी हिस्सा लेने से कतराते हैं जिसका सीधा असर उनके व्यक्तित्व पर पड़ता है बच्चों के मन में कई गलत धारणाएं भी बैठ जाती है जिसका उनकी सोच पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है इसलिए ध्यान रखें कि अपने बच्चे को अपनी बात प्यार से समझा करें मनवाए डर एक बाहरी दबाव है इसलिए आप अपने बच्चे को चाहे कितना भी डर आए अगर उनकी काम करने की इच्छा नहीं होगी तब वह नहीं करेंगे इसलिए डराने से ज्यादा जरूरी है कि आप अपने बच्चों को अनुशासित रहना सिखाएं जिससे वह जिंदगी में एक कामयाब इंसान बन सके