धूर्तता का फल एक ना एक दिन मिलता ही है आज नहीं तो कल सही एक कहानी

एक कहानी के अनुसार एक बगुला तालाब के किनारे एक टांग पर खड़े होकर जोर जोर से चिल्ला रहा था और दुखी हो रहा था उसको दुखी और रोते हुए देख कर एक केकड़ा उसके पास आकर बोला भाई तुम इतना क्यों चिल्ला रहे हो क्या तुम्हें खाने के लिए कोई मछली नहीं मिली है या कोई और बात है बगुला बोला मैं अपनी जिंदगी से हार कर आत्महत्या करने जा रहा हूं लेकिन अभी मुझे एक पंडित जी मिले और उन्होंने बताया कि पृथ्वी पर बहुत भीषण सूखा पड़ने वाला है ।
यह सुनते ही मैंने अपने सभी दोस्तों को सूचना दे दी है और वे पास के एक बड़े तालाब पर चले गए हैं उस तालाब में इतना ज्यादा पानी है कि आने वाले 50000 वर्षों तक हम आराम से जिंदा रह सकेंगे लेकिन जब मैंने इस तालाब के दोस्तों से यह बात कही तो वह कोई मेरी बात मानने को तैयार नहीं हुए बस मैं यही सोच कर रो रहा हूं कि भलाई का जमाना नहीं है मैं जिसके लिए भलाई करना चाह रहा हूं वही लोग मुझे गलत समझ रहे हैं मैं जबकि यह सोच कर तो रहा हूं कि अगर तालाब सूख गया तो मेरे सारे दोस्त मर जाएंगे बगुले की बात सुनकर केकड़ा तालाब के सभी जीवो को यह संदेश देने लगा तालाब के सभी जीव बगुले के पास इकट्ठा हो गए मछली बोली लेकिन हम उस तालाब तक जाएंगे कैसे बगुला बोला मैं वैसे भी ज्यादा दिन जीना नहीं चाह रहा हूं मुझे पुण्य कमाने का एक मौका दो।
मैं एक एक करके सभी को अपनी गर्दन पर बिठाकर उस तालाब में छोड़ कर आ जाऊंगा सभी बगुले की बात मान गए बगुले ने पहली मछली को अपनी गर्दन पर बिठाया और उड़ा फिर मछली को एक चट्टान पर गिरा कर मार दिया गया 1 दिन केकड़े ने कहा बगुले अब तक मुझे तुमने बड़े तालाब में नहीं पहुंचाया बगुले ने सोचा आज स्वाद बदल कर देखता हूं तो क्यों ना इस बार केकड़े को ही खाया जाए इसलिए वह केकड़े को अपनी पीठ पर बिठाकर उड़ चला और उस चट्टान पर फेंकने ही वाला था कि केकड़े ने मछलियों के अवशेष देख लिए केकड़ा उस बगुले की चाल को समझ गया और उसने हवा में बदले के गले पर शिकंजा कस दिया बगुला भूल गया था कि उसके गर्दन के कड़े के हाथों में थी इस तरीके से एक धूर्त और चालाक बगुले का अंत हो गया यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें मतलब से ज्यादा चालाकी नहीं दिखानी चाहिए और दुष्टता करके किसी का नुकसान नहीं करना चाहिए नहीं तो ऊपर वाला हमें एक ना एक दिन सजा जरूर देता है यह सत्य है।