जाने आखिर क्या होता है ईश्वर और जीव का संबंध

यह एक सत्य है कि इस पृथ्वी पर जिसने भी जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है जो चीज बनी है उसे 1 दिन बिगड़ना है जो बिगड़ी है उसे 1 दिन बनना है इसी प्रकार से जब तक हम ईश्वर पर पूरा यकीन नहीं करते हैं तब तक हमें मुक्ति का मार्ग नहीं मिलता है अगर हमें मुक्ति का मार्ग चाहिए तो ईश्वर पर आस्था करनी ही पड़ेगी क्योंकि जब तक इंसान रोटी जीव उस एक स्वरूप ईश्वर के साथ मिलता नहीं है तब तक उसकी कोई कीमत नहीं होती इसका कारण यह है की सभी वस्तुओं को ईश्वर के साथ जुड़ने के बाद ही उसका मूल्य होता है जब तक जीवन रूपी इंसान पैसे मोह माया हानि लाभ जीवन मरण के आगे पीछे भागता है तब तक उसको मुक्ति का कोई मार्ग नजर नहीं आता लेकिन जिस वक्त से जीव ईश्वर की आराधना करने लगता है उस समय से ही उसके जीवन का उद्धार शुरू हो जाता है जिस तरीके से बिना तेल के कोई भी दीपक नहीं जलाया जा सकता उसी प्रकार से ईश्वर अगर नहीं होगा तो मनुष्य समेत कोई भी जीव जंतु पृथ्वी पर जीवित नहीं रह सकता इसलिए ईश्वर और जीव का बहुत ही निकट संबंध है जिस तरीके से लोहा और चुंबक जिस प्रकार चुंबक कितना भी कीचड़ में लिपटा हो लेकिन लोहे के नजदीक आते ही लोहे को अपनी ओर खींच ही लेता है इसी प्रकार से इंसान किसी भी तरीके के मेल से गंदा हो उसके बावजूद भी ईश्वर उसको कठिन परीक्षा के दौर से गुजर जाने के बाद और जिओ के पश्चाताप के बाद ईश्वर उसे अपनी शरण में बुला लेता है और जो जीव एक बार ईश्वर की शरण में चला जाता है वह मोक्ष को प्राप्त हो जाता है क्योंकि बगैर ईश्वर के जीव का कोई भी अस्तित्व नहीं है अगर ऐसा नहीं होता तो इस पृथ्वी पर लाखों करोड़ों के स्वामी कभी भी मौत को प्राप्त नहीं होते और वह हमेशा जीवित रहते लेकिन यह सत्य है कि जब मौत की आहट होती है तो सारी धन-दौलत सारी संपदा सारे डॉक्टर सारा ज्ञान यहीं पर धरा का धरा रह जाता है और जीव रूपी मानव ईश्वर की तरफ खिंचा चला जाता है