आधुनिक तरीकों की मदद से आंखों का बेहतर जीवन संभव


नई दिल्ली, 7 सितंबर, 2019ः आम जनता को आँखों की बेहतर देखभाल प्रदान करने के प्रयासों को जारी रखने के सिलसिले में इंट्राऑक्यूलर इंप्लांट एंड रिफ्रैक्टिव सोसाइटी (आईआईआरएसआई) ने आज नई दिल्ली में 2 दिवसीय वार्षिक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस आयोजित की। विभिन्न देशों के हजारों प्रतिनिधियों ने नेत्र देखभाल के क्षेत्र में नई तकनीकों, इनोवेशन और प्रगति पर चर्चा करने के लिए इस सम्मेलन में भाग लिया।

इस कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन दिल्ली के उपराज्यपाल, अनिल बैजल ने किया। पद्मश्री से सम्मानित और आईआईआरएसआई के वैज्ञानिक समिति अध्यक्ष, डॉक्टर महिपाल एस सचदेवा, आईआईआरएसआई अध्यक्ष, डॉक्टर अमित तरफदार और आईआईआरएसआई के महासचिव, डॉक्टर अमर अग्रवाल भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

डब्ल्यूएचओ की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की लगभग 30% नेत्रहीन आबादी भारत में है। इन आंकड़ों के अनुसार भारत में कुल 12 मिलियन लोग अंधेपन का शिकार हैं। हर साल 2 मिलियन नए मामलों के साथ यह समस्या न केवल लोगों के जीवन को खराब कर रही है बल्कि देश के विकास को भी प्रभावित कर रही है। केवल नेत्र विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने से ही इस समस्या में कमी लाई जा सकती है।

दिल्ली के माननीय उपराज्यपाल, श्री अनिल बैजल ने बताया कि, “इस तरह के वार्षिक सम्मेलन एक प्रकार के अनूठे मंच की तरह होते हैं, जहां हम आँखों के सभी मरीजों में ज्ञान प्राप्त करने, विचार साझा करने और सुधार करने को लेकर उत्साह को देख पाते हैं। मेक इन इंडिया पर सरकार के जोर के साथ, इस कॉन्फ्रेंस में विचार-विमर्श के साथ बहुत से सरल और विदेशी चिकित्सा प्रोटोकॉल और विचारों की उत्पत्ति होगी, जो नेत्र देखभाल के स्वर्ण मानक बन जाएंगे। इस देश से अंधेपन को मिटाने की दिशा में इस मार्च को साथ मिलकर आगे बढ़ाने का वक्त आ गया है।”

असली चुनौती इस तकनीक को जमीनी स्तर पर उपलब्ध कराने में है और इस तकनीक को अपनाने के लिए अस्पतालों में नेत्र रोग विशेषज्ञों और तकनीशियों को प्रशिक्षित करना है। आईआईआरएसआई एक प्रमुख नेत्र समाज है, जो नेत्र विज्ञान के क्षेत्र में अपने कौशल और ज्ञान का विस्तार करने के लिए इस देश के नेत्र विशेषज्ञों को एक मंच प्रदान करने का काम कर रहा है।

आईआईआरएसआई के वैज्ञानिक समिति अध्यक्ष और सेंटर फॉर साइट के सीएमडी, डॉक्टर महिपाल एस सचदेवा ने बताया कि, “भारत में अंधेपन की समस्या के बोझ के अलावा लगभग 15% भारतीय आबादी इस प्रकार के अंधेपन और दृष्टि की समस्या से पीड़ित हैं जिसे ठीक किया जा सकता है। नेत्र विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति के साथ समय पर निदान और उपचार से दृष्टि की लगभग हर प्रकार की समस्या को ठीक किया जा सकता है। उद्योग और नेत्र विशेषज्ञ टेक्नोलॉजी की लागत कम करने और भारत की विशाल ग्रामीण आबादी को नेत्र देखभाल प्रदान करने के लिए एक आम बैठक की उम्मीद रखते हैं।”

उपस्थित सभी अथितियों ने कई अत्याधुनिक सत्रों के माध्यम से नई और अत्याधुनिक तकनीकों को आम जनता के बीच उपलब्ध कराने के तरीकों पर भी चर्चा की। नेत्र संबंधी विकारों के उपचार में अत्याधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से न केवल इलाज आसान हो जाएगा बल्कि मरीज की रिकवरी में समय भी कम लगेगा, जिसके बाद वे अपने जीवन को खुलकर जी सकेंगे।