देश में ट्रैफिक के नए नियमों के बाद पेट्रोल पंपों पर प्रदूषण करवाने वालों की लगी लम्बी क़तारें


देश में ट्रैफिक के नए नियम लागू होने के बाद पलूशन सर्टिफिकेट पाने के लिए जगह-जगह पेट्रोल पंपों पर मारामारी देखने को मिल रही है जिस जगह कभी कोई एक भी व्यक्ति खड़ा नहीं दिखता था आज वहां पर गाड़ियों की लम्बी लाइन लगी हुई है पहले करीब 20 परसेंट लोग ही प्रदूषण सर्टिफिकेट के पुराने नियमों को फॉलो करते थे लेकिन नए नियम लागू होने के बाद हर दिन सर्टिफिकेट के लिए आने वालों का नंबर बढ़ता जा रहा है जिस तरीके से पेट्रोल पंप सर्टिफिकेट बनवाने बनवाने वालों की संख्या बढ़ी है उसको देखते हुए सर्वर की कैपेसिटी को बढ़ाना बेहद  जरूरी हो गया है चौ

क्योंकि सिर्फ दिल्ली में ही 31 जुलाई 2019 तक एक करोड़ 1500000 93000 582 व्हीकल रजिस्टर्ड है इसमें 3298000 883 कार और 7690658 2wheelers शामिल है लेकिन 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों के सड़कों के हटने के बाद इस समय सड़कों पर 4984019 टू व्हीलर और 2103265 कारें चल रही है बताया जा रहा है कि प्रदूषण सर्टिफिकेट जारी करने वाले प्रदूषण सेंटरों पर ऐसी गाड़ियां भी आ रही है जिनका कई साल से प्रदूषण चेक नहीं हुआ है 1 सितंबर से पहले उस पर 12 से 15000 गाड़ियों की चेकिंग होती थी लेकिन अब यह आंकड़ा लगभग 45 से 50 हजार पहुंच चुका है लेकिन  एक तरफ कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सरकार के इस फैसले पर सीधा सवाल उठा रहे हैं जिस पर मोहन सक्सेना का कहना है कि यह नियम बनाने से पहले कोई सरकार से पूछे कि क्या उसने कभी सड़कों के गड्ढे देखे हैं इतनी ट्रैफिक लाइट खराब है पता है कई सड़कों पर स्ट्रीट लाइट खराब है इसकी जिम्मेदारी किसकी है महीने के आठ से 10,000 कमाने वाले लोग चालान के लिए 23000 कहां से लाएंगे इसकी परवाह सरकार को जरा सी भी नहीं है सरकार प्राईवेट कर्मचारियों की सैलरी तो बढ़वा नही रही ही सरकार तो बस किसी भी तरीके से लोगों का खून चूस कर अपने खजाने भरना चाहती है इस पर गुड्डू नूरी तो काफी गुस्से में दिखे उनका कहना है कि  जुर्माना बढ़ाने से सिर्फ सवाल ही खड़े हुए हैं अगर पहले सुविधाएं खड़ी होती तो रूल्स भी फॉलो करने पर लोगों को कोई भी परेशानी नहीं होती आज हेलमेट न लगाने पर तो जुर्माना है लेकिन हेलमेट की कीमत से 10 गुना है क्या इसकी वजह एलिमेंट की कीमत वसूल कर हेलमेट नहीं दिया जा सकता है जब दिल्ली पहले से जाम से जूझ रही थी तो क्यों बैटरी रिक्शा को अप्रूवल दिया एक चीज और भी साफ साफ नजर आ रही है इस नए नियम के बाद ट्रैफिक पुलिस की कमाई का जरिया बढ़ गया है अगर दिल्ली की बात ना करें तो दिल्ली से सटे नोएडा गुड़गांव आदि शहरों में जहां किसी को पकड़ने पर पुलिस वाले सौ पचास ले देकर मान जाते थे आज वही 2000 3000 की बात करने लगे हैं और मैं नियमों का डर दिखाकर आम लोगों को ठगने लगे लेकिन इस पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है बस सारे नियम कायदे और कानून तो आम लोगों के लिए ही है और उन्हें फॉलो करना जरूरी है।