जब पथिक को नहीं खोज पाए थे अंग्रेज

यह बात सन 18 सो 82 की है जब बुलंदशहर के गुलावठी के अख्तियारपुर गांव में जन्मे विजय सिंह पथिक उर्फ भूप सिंह गुर्जर ने आजादी की लड़ाई में बड़ी भूमिका अदा की थी पते की क्रांतिकारी होने के साथ एक पत्रकार और समाजसेवी लेखक भी थे वह कवि शिक्षक वह राजनीतिक भी थे 1912 में ब्रिटिश सरकार ने भारत की राजधानी कोलकाता से हटाकर दिल्ली लाने का निर्णय लिया भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड हार्डिंग ने दिल्ली में प्रवेश करने के लिए एक जुलूस निकाला था उस वक्त पथिक समेत उनके अन्य साथियों ने मिलकर उस जुलूस पर बम फेंका था और उस जुलूस को रोकने की कोशिश की थी हार्डिंग बच गए लेकिन अंग्रेज पथिक की जान के दुश्मन बन गए थे तब पथिक ने अपना नाम भूप सिंह गुर्जर से बदलकर विजय सिंह पथिक रख लिया था उसके बाद अंग्रेज उनको कभी भी ढूंढ नहीं पाए थे उनकी याद में ग्रेटर नोएडा में स्टेडियम का नाम विजय सिंह पथिक स्पोर्ट्स कंपलेक्स रखा गया है पथिक के जीवन पर आधारित कई पुस्तकें प्रकाशित की जा चुकी है।