गांव में मशरूम की खेती बनती जा रही है फायदे का सौदा


यह कहानी उस शख्स की है जिसने रोजगार के लिए इधर-उधर भटकने की बजाय अपने गांव अपनी माटी में समृद्धि भविष्य का निवेश किया सोनल हिमाचल प्रदेश के शमलेच गांव मैं उसने सफलता की कहानी कुछ इस तरह से गढ़ी की लोग उसके नाम और काम की मिसाल देने लगे उसने ₹5000 से शुरू किया मशरूम कारोबार आज 5 करोड़ रुपए सालाना टर्नओवर  है शमलेच गांव  के लिए यह किसी उपलब्धि से कम नहीं है सोलन शहर से 4 किलोमीटर दूर स्थित गांव के विकास बनाल देशभर में मशरूम ग्रोअर्स के नाम से जाने जाते हैं विकास बताते हैं कि 1990 में एम काम तक की पढ़ाई के बाद माता-पिता ने सरकारी नौकरी करने को कहा और कई निजी कंपनियों ने सम्पर्क भी किया लेकिन मैंने इनकार कर दिया मेंने मशरूम उत्पादन का मन बनाया  अपने पास जमा ₹5000 रुपए इस कारोबार में लगा दिए और मशरूम के 200 बैग से ₹15000 कमाए इसके बाद हौसला बढ़ गया और पिता से ₹100000 लेकर कारोबार बढ़ाने का मन बनाया उस समय एक किलोग्राम मशरूम मात्र ₹20 में बिका करता था अपनी साइकिल पर सोलन शहर में उसे बेचने जाता आज 30 वर्ष बाद मेरे प्लांट में 1000 किलोग्राम मशरूम उत्पादन होता है 500000 बैग का कारोबार होता है अनेक लोगों को रोजगार मिला है और 5 करोड़ के आसपास का सालाना टर्नओवर  है विकास ने बताया कि तेजी से बढ़ते चलन के बीच अब मशरूम की मांग पूरी नहीं हो पा रही है सोलन में बड़ी मशीनरी नहीं लग सकती इसलिए पंजाब के मोहाली में 5 एकड़ जमीन पर प्लांट का विस्तार किया है इसके लिए फुल ऑटोमेटिक प्लांट बनाया जा रहा है यहां से अन्य देशों के लिए भी उत्पादन होगा स्वर्ण स्थित यूनिट में मांग बढ़ने के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार दिया जाता रहा है कई लोगों को मशरूम उत्पादन का परीक्षण भी दिया गया है कई लोग यहां से कंपोस्ट ले जाते हैं इस समय करीब 100 लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया हुआ है विकास ने मशरूम उत्पादन में ख्याति प्राप्त की तो भारत सरकार ने उन्हें एडवाइजरी बोर्ड में भी शामिल कर लिया है।