आज का हिंदू पंचांग 13 अक्टूबर 2019 पंडित विष्णु जोशी के साथ






 *आज का हिन्दू पंचांग* ~
पं. विष्णु जोशी 7905156547
 *दिनांक 13 अक्टूबर 2019*
 *दिन - रविवार*
 *विक्रम संवत - 2076 (गुजरात. 2075)*
 *शक संवत -1941*
 *अयन - दक्षिणायन*
 *ऋतु - शरद*
*मास - अश्विन*
 *पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पूर्णिमा 14 अक्टूबर रात्रि  02:38 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
 *नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद सुबह 07:54  तक तत्पश्चात रेवती*
*योग - व्याघात 14 अक्टूबर प्रातः 04:44 तक तत्पश्चात हर्षण*
 *राहुकाल - शाम 04:33 से शाम 06:00 तक*
*सूर्योदय - 06:34*
*सूर्यास्त - 18:15*
 *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*
 *व्रत पर्व विवरण - व्रत पूर्णिमा, माणेकठारी-कोजागरी-शरद पूर्णिमा, कार्तिक स्नानारम्भ, वाल्मीकि जयंती*
 *विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
                *~ हिन्दू पंचांग ~*

*कार्तिक मास में स्नान की महिमा*
*कार्तिक मास में सूर्योदय से पहले स्नान करने की बड़ी भारी महिमा है और ये स्नान तीर्थ स्नान के समान होता है l*
           *~ हिन्दू पंचांग ~*

शरद पूर्णिमा*
 *शरद पूर्णिमा रात्रि में चन्द्रमा की किरणों में रखी हुई दूध – चावल की खीर का सेवन पित्तशामक व स्वास्थ्यवर्धक है | इस रात को सुई में धागा पिरोने से नेत्रज्योति बढ़ती है |*
              *~ हिन्दू पंचांग ~*

 *कार्तिक मास में जप*
 *कार्तिक मास में अपने गुरुदेव का सुमिरन करते हुए  जो "ॐ नमो नारायणाय" का जप करता है, उसे बहुत पुण्य होता है |*
              *~ हिन्दू पंचांग ~*

*कार्तिक मास*
स्कंद पुराण में लिखा है : ‘कार्तिक मास के समान कोई और मास नहीं हैं, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान दूसरा कोई तीर्थ नहीं है |’ – ( वैष्णव खण्ड, का.मा. : १.३६-३७)*
              *~ हिन्दू पंचांग ~* *शरद पूर्णिमा*

    वर्ष के बारह महीनों में ये पूर्णिमा ऐसी है, जो तन, मन और धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। इस पूर्णिमा को चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, तो धन की देवी महालक्ष्मी रात को ये देखने के लिए निकलती हैं कि कौन जाग रहा है और वह अपने कर्मनिष्ठ भक्तों को धन-धान्य से भरपूर करती हैं।

    शरद पूर्णिमा का एक नाम *कोजागरी पूर्णिमा* भी है यानी लक्ष्मी जी पूछती हैं- कौन जाग रहा है? अश्विनी महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में होता है इसलिए इस महीने का नाम अश्विनी पड़ा है।

     एक महीने में चंद्रमा जिन 27 नक्षत्रों में भ्रमण करता है, उनमें ये सबसे पहला है और आश्विन नक्षत्र की पूर्णिमा आरोग्य देती है।

   केवल शरद पूर्णिमा को ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से संपूर्ण होता है और पृथ्वी के सबसे ज्यादा निकट भी। चंद्रमा की किरणों से इस पूर्णिमा को अमृत बरसता है।

    आयुर्वेदाचार्य वर्ष भर इस पूर्णिमा की प्रतीक्षा करते हैं। जीवनदायिनी रोगनाशक जड़ी-बूटियों को वह शरद पूर्णिमा की चांदनी में रखते हैं। अमृत से नहाई इन जड़ी-बूटियों से जब दवा बनायी जाती है तो वह रोगी के ऊपर तुंरत असर करती है।

   चंद्रमा को वेदं-पुराणों में मन के समान माना गया है- *चंद्रमा मनसो जात:।* वायु पुराण में चंद्रमा को जल का कारक बताया गया है। प्राचीन ग्रंथों में चंद्रमा को औषधीश यानी औषधियों का स्वामी कहा गया है।

   ब्रह्मपुराण के अनुसार- सोम या चंद्रमा से जो सुधामय तेज पृथ्वी पर गिरता है उसी से औषधियों की उत्पत्ति हुई और जब औषधी 16 कला संपूर्ण हो तो अनुमान लगाइए उस दिन औषधियों को कितना बल मिलेगा।

   शरद पूर्णिमा की शीतल चांदनी में रखी खीर खाने से शरीर के सभी रोग नियंत्रण मे रहते है