प्रेम नगर के 40 शिक्षकों की टीम शैक्षणिक भ्रमण से आए वापस



रिपोर्ट - पारसनाथ सिंह

सूरजपुर/छत्तीसगढ़। जिले के प्रेमनगर ब्लॉक के  NIOS डी0 एल0 एड0 केंद्र प्रेमनगर के प्रशिक्षणार्थी शिक्षक और अन्य स्कूलों के शिक्षकों ने बीते कुछ दिनों पहले विपिन पाण्डेय के मार्गदर्शन और नवाचारी शिक्षक कृष्ण कुमार ध्रुव के नेतृत्व में उड़ीसा शैक्षणिक भ्रमण में रवाना हुए थे जिनका उद्देश्य शैक्षणिक गुणवत्ता को बढ़ाना है। इस टीम ने सबसे पहले सम्बलपुर के समलाई मंदिर का अध्ययन किया जिसमे पाया कि यह मंदिर 16 वीं शताब्दी को बनवाया गया है यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर सम्बलपुर में ही नहीं बल्कि उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए भी प्रसिद्ध है। अगला भ्रमण नंदन कानन जूलोजिकल पार्क है ये पार्क 400 हेक्टेयर में फैला नंदन कानन जू के साथ साथ बोटनिकल गार्डन भी है इसकी स्थापना 1960 में हुई थी और इसे 1979 को आम लोगों के लिए खोल दिया गया था। यह देश का पहला जू है जो वर्ल्ड एसोशिएशन ऑफ जू एंड एक्वेरियम का सदस्य है। यह कानन सफेद बाघों के लिए प्रसिद्ध है। यहां घड़ियाल पेंगोलिन और माउस डिअर को भी देख सकते हैं 1991 से यहां टाइगर सफारी की भी शुरुवात हुई। धौलगिरि का शांति स्तूप इसे शांति शिवालय भी कहा जाने वाला प्रसिद्ध शांति स्तूप एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्तंभ है। यह 400 मी0 की ऊंचाई पर रणगिर पहाड़ी के उच्चतम बिंदु पर स्थित है। इस स्तूप में बुद्ध की 4 स्वर्ण प्रतिमाओं को स्थापित करते हुए विश्व शांति का प्रतीक सफेद संगमरमर पत्थर से बना है। लिंगराज मंदिर भारत के उड़ीसा प्रान्त के राजधानी भुवनेश्वर में स्थित है। यह भुवनेश्वर का मुख्य मंदिर है यह भगवान त्रिभुवनेश्वर को समर्पित है इसे ललाटेडुकेशरी ने 617- 657 ई0 में बनवाया था। कोणार्क का सूर्य मंदिर इसे 13 वीं शताब्दी में राजा नरसिम्हदेव प्रथम (1238 - 1250 ई0 पू0) द्वारा किया गया और सूर्य देव को समर्पित है। यह भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस विशाल मंदिर को देखने भारी संख्या में विदेशी सैलानी भी आते हैं। कोणार्क कोण और अर्क दो शब्दों से मिलकर बना है। जहां कोण का अर्थ कोना और अर्क का अर्थ सूर्य है। इस मंदिर को ब्लैक पैगोड़ा के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर को यूनेस्को ने 1984 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है। चिल्का झील यह उड़ीसा के समुद्री अप्रवाही क्षेत्र में बनी एक झील है। यह भारत की सबसे बड़ी झील एवं विश्व की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील है। यह 70 कि0 मी0 लंबी तथा 30 कि0 मी0 चौड़ी है इसका क्षेत्रफल 1165 कि0 मी0 है। यहाँ डॉल्फिन पॉइंट भी है जहाँ डॉल्फिन मछलियों को भी समुन्द्र में तैरते प्रत्यक्ष आनंद लिया गया  और इस विशाल भ्रमण का अंतिम पड़ाव जगन्नाथ भगवान की नगरी पूरी में में किया गया यह भारत के ओड़िशा राज्य कर पूरी जिले में स्थित एक नगर है। भारत के चार पवित्रम स्थानों में से एक है पूरी जहां समुद्र इस शहर के पांव धोता है। पूरी भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की नगरी है। यह हिंदुओं के पवित्र चार धामों में से एक पूरी संभवतः एक ऐसा स्थान है जहां समुद्र के आनंद के साथ साथ धार्मिक स्थलों का आनंद भी लिया जा सकता है। इस स्थान को हजारों वर्षों से कई नामों नीलगिरी, नीलाद्रि, नीलापन, पुरुषोत्तम, शंख क्षेत्र, श्रीक्षेत्र, जगन्नाथ धाम, जगन्नाथपुरी से जाना जाता है। इस सभी जगहों का विस्तृत प्रत्यक्ष दर्शन और जानकारी प्राप्त किया। सभी शिक्षकों ने माना की इस जानकारी को अपने स्कूल में विषय अध्यापन के तहत समावेश कर क्लास को रुचिपूर्ण और बेहतर बनाया जा सकता है। शिक्षकों ने कहा इसे अपने क्लास में जोड़कर बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करेंगे और इसमें हमारे अध्यापन की शैली में भी निखार आएगी। इस भ्रमण में प्रेमनगर से केंद्र समन्वयक विपिन पाण्डेय, स्त्रोत पुरुष कृष्ण कुमार ध्रुव, हरिश्चन्द्र वर्मा, बृजभूषण सर्वटे, भुलेश्ववर सिंह, बालकुमार, गुलाब वरकड़े, महेश सर्वटे, नूतन सिंह, हिरमानिया, रनसाय सिंह, राहुल कुमार, डेविड कुमार, सतेंद्र एक्का,गागर प्रसाद,सुखलाल,रामकुमार कौशिक, दीपमाला दास,मीरा सिंह,मनीता सिंह, विनीता सिंह,विजय कुमार यादव, कविलासो सिंह, एच0 एस0 राम, विजय दास, कुलदीप सिंह, हंसकुमार, उर्मिला दास, भोला राम, अनिल सिदार, एतबल सिदार, ललिता पाण्डेय, शालिनी पाण्डेय, किटू पाण्डेय, शिव कुमारी वर्मा, रामदुलारी कौशिक, बंधु सिदार और अन्य शिक्षक शामिल थे।