संघ और सियासत-सफलता तो हर किसी को दिखती है लेकिन उसके पीछे छिपा संघर्ष किसी को नहीं दिखता -के सी शर्मा








संघ और सियासत


के सी शर्मा

कल दोपहर को एक भाई साहब मिले।
मुझे रोकते हुए बोलते हैं कि आजकल संघ वालों की जमकर चांदी है।हर जगह CM संघ का, PM संघ का, मंत्री संघ के है।
खैर मेने मुस्कुराते हुए सुनकर भी उनकी बात को टाल दिया।
लेकिन सोचने वाली बात है।
हर्ष हमें भी होता है जब एक स्वयंसेवक देश की कोई जिम्मेदारी का निर्वहन करता है।
उसका दायित्व संभालता है।
लेकिन हम सामान्य लोगों का एक सामान्य स्वभाव है कि हम किसी भी व्यक्ति की सफलता देखते हैं और उसके संघर्षों को अनदेखा कर देते हैं। आज सबको मोदी व योगी का युवाओं में क्रेज दिखता है।
लेकिन उनकी तपस्या, उनका त्याग, उनका समर्पण भी देखना चाहिए।

मनोहर पर्रिकर, देवेंद्र फड़नवीस, रघुवरदास, त्रिवेंद्र सिंह रावत, मनोहर खट्टर की सादगी भी देखनी चाहिए।

किस तरह पर्रिकर देश के सबसे ज्यादा शो ऑफ करने वाले VVIP लोगों के पसंदीदा राज्य के मुखिया होकर भी सादगी और गरिमा पूर्ण ढंग से रहते थे।

दूसरी ओर आज हम देखते हैं कुछ छुट भैया नेताओं को अगर वो किसी शहर के पार्षद भी बन जाएं तो 4 पहिया वाहन के बिना नहीं चलते हैं।

यह अंतर है।

इन नामों और हम सामान्य लोगों में।

आप को मोदी की सफलता दिखती है।

लेकिन दूसरा पहलू भी तो देखिए।

आज उनके समकक्ष जो  विरोधी राजनेता हैं युवराज, और दिल्ली के CM जितनी इन दोनों की आयु है,
उससे ज्यादा समय से मोदी इस देश, समाज के लिए काम कर रहे हैं।

जब हमारे बच्चें 12th के बाद किस कॉलेज में प्रवेश लें इस कशमकश में फंसे होते हैं। उस आयु में इन लोगों ने देश और समाज के लिए अपना घर-परिवार छोड़ने का निर्णय ले लिया था।

हम इन जैसे बनना चाहते हैं। लेकिन क्या उनके रास्ते पर चलना चाहते हैं ?

मुझे याद है आज से 4-5 साल पहले अगर आप कुर्ता पहन लें तो आपके दोस्त मजाक उड़ाते थे। क्योकि इसे बूढ़ों का पहनावा कहा जाता था। लेकिन आज युवा इसे गर्व से पहनते हैं।

कल तक आप गले में माला पहनकर स्कूल, कालेज नहीं जा पाते थे। क्योकि आपको बैकवर्ड सोच का कह दिया जाता था* लेकिन आज जब देश के मुखिया "रुद्राक्ष की माला" गले में धारण करते है *तो उनको देखकर लाखों युवा माला पहनते हैं।

मुझे याद है।

अभी कुछ समय पूर्व तक आप अगर युवा है तो गले में गमछा डालने में शरमाते थे।

लेकिन जब देश के प्रधान गले में भगवा गमछा डालते है
तो आज उनका अनुसरण करते हुए करोड़ों युवा भगवा गमछा गले में डालते हैं।

आज आप नजदीकी बाजार चले जाइए।

इस वर्ष भगवा गमछों की भरमार है और आपको एक विशेष बात बताता चलु कि जहाँ सामान्य लोगों की सोचने  समझने की सीमा समाप्त होती है। वहां से एक स्वयंसेवक सोचना प्रारम्भ करता है।

आज आप जो सादा जीवन जीने वाले CM देख रहे हैं न, वह भविष्य की तैयारी है। आप दुनिया में संचार क्रांति देख चुके हैं आप दुनिया में सत्ता परिवर्तन की क्रांति देख चुके हैं, आप योग क्रांति देख चुके हैं।

लेकिन अब "चरित्र क्रांति" आने वाली है और संसार के सभी विशेषज्ञ इसे स्वीकार रहे हैं।

और मुझे और हर भारतीय को उस दिन गर्व होगा, जब योग क्रांति की ही तरह "चरित्र क्रांति" की अगुवाई भी भारत ही करेगा।

कल तक जिस राजनीति को हम कीचड़ समझते थे।

आज वह साफ़ और निर्मल होने जा रही है और यह हमारा सौभाग्य है कि हमारी पीढ़ी उन क्षणों की साक्षी बनेगी।

बात रही संघ कि तो संघ के विषय में भी इतना ही देखा और समझा हूँ "संघ कुछ नहीं करता सिर्फ शाखा लगाता है...और स्वयंसेवक के साथ राष्ट्र निर्माण करता है।

     संघे शक्ति युगे युगे।
     नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमि।

          जय हिंद। जय भारत।।
वंदे मातरम। भारत माता की जय।।