कलयुग में रावण बनना भी कहा आसान है -के सी शर्मा


के सी शर्मा की रिपोर्ट
रावण जानता था, कि श्री राम ने लंका पर विजय हेतु रामेश्वरम की स्थापना हेतु उन्हें बुलाया है, पर उसने अपना ब्राह्मण धर्म निभाया और स्वयम रामेश्वरम महादेव की स्थापना करवाई।
इतना निर्विकार, इतना साहसी रावण ही हो सकता था, जो तमोगुण की  समाप्ति  के लिए स्वयम प्रभु श्री राम से वैर ले लिया।
 यदि रावण में श्री राम की पत्नी के अपहरण का दुस्साहस था, तो बिना सहमति माता सीता को नजर उठाकर भी ना देखने का संयम और साहस भी,,,, यद्यपि हम सभी जानते हैं, यह सब केवल रावण ने अपने मोक्ष के लिए किया था।।।।।
आश्चर्यजनक यह है कि 2 -2 साल की अबोध मासूम बच्चियों पर भी गिद्ध दृष्टि रखने वाले लोग भी जब दशहरे की बधाई देते हैं, तब क्या वह स्वयं के अंतर को थूंकते नहीं,,,, अरे धिक्कार है कायरों !!!
 चौदह वर्ष तक लंका में पवित्रता की प्रतिमूर्ति बनी रही माता सीता की अग्नि परीक्षा स्वयम मर्यादा पुरुषोत्तम ने ली,,,,,," कोई अपने बहन के सम्मान के लिए भगवान से भिंड गया और किसी ने परपुरुष के आक्षेप पर, अपनी अग्नि परीक्षा देकर स्वयम शुद्ध साबित करने वाली सती एवं गर्भवती  सीता को घनघोर जंगल में धोखे से अनुज द्वारा अकेले छुड़वा दिया,,,,,।"
और आज तक जलाया रावण को जाता है।
तो *विजयादशमी की बधाई वही दे जिसने अपने अंतर्मन के रावण का दहन कर लिया हो,,अन्यथा रावण के चरित्र को कलंकित ना करे ।