जनता का दिवाला निकाल कर दिवाली मनाने की तैयारी




मध्यप्रदेश में जहाँ एक ओर प्रदेश की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर होने के कारण कई विभागों के कर्मचारियों को वेतन देने में भी मध्यप्रदेश शासन प्रशासन द्वारा असमर्थता जताई जाती है वहीं प्रदेश की आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कर्ज लिया जाता रहा है जो वर्तमान में भी जारी है।
ग़ज़ब की बात तो यह है कि वास्तव में सरकार द्वारा लिए गए कर्ज का मूल हो या भारी भरकम ब्याज, मध्यप्रदेश की जनता को चुकाना है।मध्यप्रदेश शासन द्वारा भारी भरकम टैक्स वसूली के बाद भी प्रदेश की आर्थिक स्थिति खराब क्यों है और इसके जिम्मेदार कौन ?
ताजा एक उदाहरण सामने है....
मध्यप्रदेश शासन के परिवहन विभाग का ई गवर्नेंस का काम करने वाली स्मार्ट चिप कंपनी को परिवहन विभाग के कार्यों, जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन कार्ड इत्यादि के लिए अन्य प्रदेशों की तुलना में बहुत अधिक दर पर कार्य दिया गया था और मध्यप्रदेश शासन के ख़जाने से प्रति माह करोड़ों रूपये का भुगतान किया जाता रहा है।
2018 में स्मार्ट चिप कंपनी का कार्यकाल समाप्त हो चुका है फिर भी  अधिकारियों की मेहरबानी कहें या मिलीभगत ...भुगतान निरंतर जारी है ।
स्मार्ट चिप कंपनी पर देश के विभिन्न राज्यों में भ्रष्टाचार, आर्थिक अनियमितता के गंभीर आरोपों में FIR दर्ज हैं तथा मध्यप्रदेश में भी परिवहन मंत्री को प्राप्त शिकायत में गंभीर आरोप लगाए गए हैं, राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ, लोकायुक्त तक गंभीर शिकायतें पहुँची हैं, किन्तु फिर भी सारी शिकायतों को दरकिनार करते हुए, नियम विरुद्ध स्मार्ट चिप कंपनी के कार्यकाल को आगे बढ़ाने तथा पूर्व से भी अधिक दरों पर भुगतान करने के लिए अब अधिकारियों, उच्च अधिकारियों से लेकर मंत्री तक ललायित दिखाई दे रहे हैं ।
आंखें खोलिए...क्यों सरकारी खजाने से एक प्राइवेट कंपनी को अधिकारी अधिक दरों की स्वीकृति देते हुए करोड़ों रूपये भुगतान करने के लिए ललायित हैं ...? प्राप्त गंभीर शिकायतों को दरकिनार किया जा रहा है । अधिकारियों से लेकर मंत्री तक सभी जानते हैं कि एक बार कंपनी का कार्यकाल बढ़ जाता है तो आगे पाँच वर्षों तक करोड़ों रूपये का भुगतान कंपनी को मिलता ही रहेगा और किसी भी सूरत में कभी रोका नहीं जा सकता है,  फिर भी कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की गंभीर आपत्तियों के पश्चात भी नियम विरुद्ध  कंपनी के कार्यकाल को आगे बढ़ाने के लिए ताबड़तोड़ प्रयास जारी हैं और अंत में गुप-चुप तरीके से कैबिनेट से पास कराने की तैयारी भी कर ली गई है। जांच के बाद ही सामने आ सकता है कि कंपनी को प्रति माह  भुगतान किए जा रहे करोड़ों रूपयों में किस किस का हिस्सा है क्योंकि प्राप्त शिकायतों के आधार पर जांच करने के स्थान पर नियम विरुद्ध कंपनी के कार्यकाल को आगे बढ़ाने की आतुरता को देखते हुए तो यही प्रतीत होता है
और हाँ ....इतनी महत्वपूर्ण ख़बर को कुछ सम्माननीय प्रतिष्ठित समाचार पत्र भी नहीं छाप पा रहे...क्यों कि उनके अनुसार पिछले 13 दिनों से जगह ही खाली नहीं मिल रही है ..क्यों कि दीपावली के विज्ञापन भी तो हैं ...
हम सभी को मूर्ख बनाने का काम जारी है .....दीवाली तो इनकी है और हम आम जनता का दीवाला निकालकर ये लोग दीवाली मनाएंगे ...
के सी शर्मा