जब संघ का स्वरूप देखकर राजनीतिक सत्ता का सिंहासन डोलने लगा था-के सी शर्मा




के सी शर्मा
1940 के बाद, संघ का स्वरुप देखकर राजनीतिक सत्ता का सिंहासन डोलने लगा और संघ के खिलाफ दुष्प्रचार किया जाने लगा। मगर स्वयंसेवकों की दिन रात की कठिन तपस्या के कारण, एक दशक बाद ही वो कालखंड आया. जब प्रधानमंत्री ने अन्य नेताओं के साथ माननीय संघ चालक को विचार विनमेय के लिए बुलाया।26 जनवरी की परेड में आर.एस.एस. की वाहिनी को शामिल किया गया. इसके बाद संघ के स्वयंसेवकों ने एक से बढ़कर एक प्रकल्पों में बढ़चढ़कर हिसा लेना आरम्भ कर दिया।शीघ्र ही हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा और अनुशासन की वजह से स्वयंसेवकों ने अपने झंडे गाड़ लिए।आपातकाल ने संघ के महत्व को पुन: समझाया. आर.एस.एस. के प्रचार तंत्र से देश ने प्रजातंत्र की रक्षा की।  तब संघ को देखने की समाज की नज़र बदल गयी थी. यह सब कैसे हुआ संघ का विचार,सत्य विचार है, अधिष्ठान शुद्ध है पवित्र है।इस शक्ति से ही संघ हर मुश्किल का सामना कर रहा है।इन विचारों को व्यवहार में लाने वाली कार्यपद्दति को तैयार करने का काम, संघ शाखाओं के माध्यम से कर रहा है।बाकी सब बंद हो सकता है।संघ की शाखा कभी बंद नहीं हो सकती।