बुंदेलखंड में राजनेताओं के बीच वर्चस्व की जंग जमीनी मुद्दों से नहीं कोई सरोकार


पंकज पाराशर छतरपुर*
बुंदेलखंड में वर्चस्व की जंग से  अंचल का विकास आतम थम गया है l राजनितिज्ञ लोग कभी भी नीतिगत सिद्धांतों से समझौता नहीं करते है और इसी को राजनीति कहा जाता है, परन्तु  इन दिनों शहर में सबसे अधिक किसी भी कार्य की सफलता का श्रेय लेने की होड़ मची हुई है और सच यह है कि कोई भी कार्य सफल होता नहीं दिखाई दे रहा है। सरकार की तमाम प्रकार की योजनाएं महज खानापूर्ति का रूप ले रही है। सूबे में सियासत को बदले हुए एक वर्ष होने को जा रहा है, परन्तु जिन मुद्दों को लेकर नेताओं के द्वारा जनता के घर पहुंचकर मत्था टेकते हुए वोट मांगे गये थे वह मुद्दे असल में आज भी जस के तस बने हुए है। जनप्रतिनिधियों के द्वारा पब्लिसिटी स्टंट करके जनता को बरगलाया जा रहा है। लोगों की समस्याओं के समाधान हेतु जनप्रतिनिधियों के द्वारा कोई भी ठोस प्रयास नहीं किया जा रहा है। यही कारण है कि समस्याओं का निदान नहीं हो पा रहा है। खेल, कूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम व धर्म के नाम पर फूहड़ जैसे आयोजन कर जनता को असल मुद्दों से भटका कर क्षणिक सुखद वातावरण देकर जनप्रतिनिधि अपनी असल जिम्मेबारी से बच रहें है और समाजसेवा का ढोंग रच रहे है।
*यह है असल मुद्दे:-*
.कलेक्टर व जनप्रतिनिधियों के बार-बार जिला चिकित्सालय के निरीक्षण तथा अस्पताल प्रबंधन आलू चित्र विधि को सख्त निर्देश देने के बावजूद भी जिला चिकित्सालय में सुधार नहीं दिखाई दे रहा है।
. अमृत मिशन जल योजना के लिए शहर में डाले गये पाइपों के कारण सडक़ो पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है जो नगर वासियों के लिए विकराल समस्या बनी हुई है साथ ही बिजली के भारी भरकम बिल और बिजली की आंख मिचौली से लोगों को निजात नहीं मिल पा रही है।
.चौबे तिराहा से बस स्टैंड मार्ग पर लोगों के लिए चलना युद्ध के समान चुनौती बना हुआ है। धूल के गुब्बारे व सडक़ों पर  बड़े-बड़े गड्ढे सडक़ हादसों का मुख्य कारण बन रहें है।
. शहर के तालाबों को अतिक्रमण से मुक्ति न मिल पाना व शासकीय जमीनों पर भू-माफियों द्वारा बेजा अतिक्रमण किया जाना । न्यू कॉलौनी से सनसिटी को जाने वालो रास्ते में पार्क के पास गंदगी का अंबार लगा हुआ है। सुअरों के आंतक से मुंह पर कपड़ा बांधे हुए लोगों को स्वाइन फ्लू जैसी गंभीर बीमारी होने खतरा मडऱा रहा है।
 . मेडिकल कॉलेज के निर्माण में प्रगति नहीं, शहर की बिगड़ी हुई यातायात व्यवस्था में कोई सुधार नहीं, जिले में बड़े उद्योग स्थापित करवाने के लिए जनप्रतिनिधियों के द्वारा प्रयास न करना, शहर में बेरोजगारी, मजदूरों को कोई काम नहीं मिलना, शिक्षित युवाओं को रोजगार के अवसर नहीं। इस तरह के तमाम अनगिनत जमीनी मुद्दे जनप्रतिनिधियों को सरोकार नहीं रखते, सीना चौड़ाकर आंख फाडक़र कैमेरे के सामने बड़ी-बड़ी बातें करने वाले जनप्रतिनिधि असल में शहर का विकास न देखकर स्वयं के विकास के लिए अग्रसर है।
 नगर पालिका परिषद छतरपुर की अध्यक्ष श्रीमती अर्चना गुड्डू सिंह और छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेदी में तकरार- नपा अध्यक्ष श्रीमती अर्चना गड्डू सिंह और सदर विधायक आलोक चतुर्वेदी के बीच तू-तू मैं मैं जग जाहिर है राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता निजी तकरार में तब्दील हो गई है। एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए दोनों लोगों में अवसर की तलाश बनी रहती है। जिस कारण सरकार के द्वारा नगर पालिका के माध्यम से लोगों को मिलने वाला लाभ ठीक तरह से नहीं मिल पा रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना में शामिल लोगों को नपा से किस्त की दरकरार बनी हुई है। रुपये नहीं मिलने के कारण लोगों के भवन निर्माण के कार्य अधर में लटक हुए है।