वीरांगना रानी दुर्गावती के जन्मदिन पर विशेष




सन 1524 की 5 अक्टूबर को दुर्गाष्टमी थी जब बांदा (बुन्देलखण्ड) के चन्देल राजा कीर्तिसिंह के घर कालिंजर में कन्या का जन्म हुआ। नाम रखा गया दुर्गा। दुर्गा में बचपन से ही बुद्धि, साहस, अनुशासन और सैन्य कुशलताएं विकसित हो गयी थीं। युवावस्था में दुर्गा से विवाह के लिए गढ़मंडला (गोंडवाना राज्य) के गोंड राजा संग्राम सिंह मडावी ने अपने पुत्र दलपत शाह के लिए दुर्गा का हाथ मांगा पर कीर्तिसिंह ने इनकार किया और युद्ध की स्थिति आ गयी जिसमें महोबा की सेना को गोंडवाना की सेना ने पराजित कर दिया। इस युद्ध का परिणाम दलपतशाह और दुर्गा के विवाह के रूप में संम्पन्न हुआ।

दुर्गावती अब गोंडवाना की रानी थी। उसका राज्य वर्तमान जबलपुर और उसके आसपास का था। दुर्गावती के एक पुत्र हुआ, जिसका नाम वीर नारायण था। चार वर्ष बाद दलपतशाह की मृत्यु हो गयी। ऐसे में दुर्गावती ने धैर्य और हौसले से गोंडवाना राज्य को एक बुद्धिमान मंत्री आधारसिंह के सहयोग से संचालित किया। उसने राज्य का विस्तार किया और उसे मजबूती प्रदान की। दुर्गावती को मालवा के शासक बाजबहादुर ने कई बार हमले करके परेशान किया और हर बार उसने उसे माकूल जवाब दिया। 1563-64 में अकबर का सिपहसालार आसफ खां जो इलाहाबाद का सूबेदार था, गोंडवाना पर हमला किया जिसे दुर्गावती ने विफल कर दिया। ऐसे और प्रयास हुए। जून 1564 के तीसरे हमले में आसफ खां ने बड़ा हमला बोला। दुर्गावती ने सैनिक वेश में अपनी सेना का संचालन किया। उसने नरई नाले के पास अपना मोर्चा लगाया। युद्ध मे उसके युवा पुत्र वीर नारायण की मृत्यु हो गयी और रानी दुर्गावती ने अदम्य साहस का परिचय देते युद्ध किया और अंततः बुरी तरह घायल हुई। 24 जून 1564 को जीवित पकड़े जाने और प्रताड़ित होने की संभावना को देखते हुए उसने खुद को कटार मारकर खत्म कर लिया!

रानी दुर्गावती एक योग्य शासिका थी। उसने 16 वर्षों तक गोंडवाना की कुशलतापूर्वक कमान संभाली। जबलपुर में उसने अपनी दासी की स्मृति में चेरीताल, मंत्री आधारसिंह के नाम पर आधारताल और स्वयं के नाम पर रानीताल का निर्माण करवाया था। दुर्गावती की समाधि बरेला में है। जबलपुर के पहले विवि का नाम रानी दुर्गावती के नाम पर ही है। नवरात्रि में जन्मी दुर्गा ने अपने नाम को सिद्ध किया। भारतीय समाज को चाहिए कि वह सिर्फ दुर्गा पूजन तक स्वयं को सीमित न रखे बल्कि बेटियों को शिक्षा और बल प्रदान करे ताकि एक बेहतर समाज की स्थापना हो सके।

जन्मदिन पर वीरांगना रानी दुर्गावती को सलाम !