कड़वे बोल मेरी कलम से पूनम चतुर्वेदी


                                       *पूनम चतुर्वेदी*


 देश मे हर दिन हर पल एक न एक वारदात होते ही जा रही है जो रूकने का नाम ही नही ले रही है ऐसा लग रहा मानो कानून नाम की कोई चीज ही नही है समझ नही आता कि दरिंदो का क्यूँ इतना मनोबल बढ रहा बहूत सारे कारण है जिसमे एक कारण जो मूझे समझ आता है वो ये भी है कि जब किसी बच्ची के साथ ये घिनौना काम होता है तो सबसे पहले वो पूलिस के पास जाती है,पर पूलिस वहा क्या करती है ,पूलिस पूछती है,कितने लोग थे,उनका नाम क्या था कैसे कपडे पहने थे गोरे थे की काले थे,अमीर थे की गरीब थे,कितने एज के थे ,और फिर शूरू होता है एक खतरनाक पोस्ट मार्टम,,पहले कहा छूवे पैरो पर जाधो पर स्तन पर या पूरे शरीर को सबसे पहले किसने किया दूसरे नः पर कौन था,जब वो कर रहे थे तो तूम चिललाई क्यू नही,तूम उस समय कहा जा रही थी अकेले क्यू थी,और क्या क्या हूवा फिर रेप करने के बाद तूमने क्या किया और वो लोग क्या किये धमकी दिये या छोड दिये,,,,,,,,इतने सवालो की बौछार उस मासूम पर होती है की वो जो बताना चाहे वो भी भूल जाती है,उसके बाद पूलिस अपना काम कर रही है कह कर मामले से अपना पल्ला झाड लेती है,और अगर वो अमीर जादे हूवे तो क्या कहने ,फिर तो सोचना पडेगा की एफ आई आर करे की नही ,और वो मासूम चूपचाप घर मे आकर दूबक जाती है एसे समाज और देश मे हम जी रहे जहा आजादी के नाम पर सिर्फ नारे लगते है आजादी है कहा,अगर होती तो आज नजारा कूछ और होता ये लडकी है ये लडका है इसको दूसरे के घर जाना है और इसे तो हमारा वंश बढाना है अरे जब बेटिया जलेगी तो खाक वंश बढाओगे, एक किडा भी पैदा न कर सकोगे पता है मेरी बाते बहूत कडवी है ,और हो भी क्यू न,मै भी एक बहन बेटी बहू पत्नि हू दर्द तो होगा मेरे घर मे लडकिया है,पर उनका क्या,जब कभी दहेज,कभी रेप,कभी एसिड कभी आग से जलती है,क्या कसूर है उनका बेटी होना एक श्राप हो गया है पैदा होते ही मायका फेक देता है ससूराल जाती है तो सास फेक देती है तो जाये कहा अरे दूष्टो एक बार तो सोचो कमिनो किसी औरत के पेट सी जन्मा है वजूद न रहेगा मर्दो का ,,,,अब इस देश का दुर्भाग्य है जो एक कानून नही बना सकते अरे राम मंदिर बना कर क्या कर लोगो जब देश मे सीता  ही सुरक्षित नही है।