दिल्ली में महिलाओं के लिए डीटीसी में फ्री का क्या औचित्य है- शैलेंद्र


दिल्ली में डीटीसी महिलाओं के लिए फ्री का क्या औचित्य, यह तो पैसे की बर्बादी है-मैं शैलेंद्र वर्णवाल कुछ दिनों से दिल्ली के सार्वजनिक परिवहन डीटीसी बस क्लस्टर बस शेयर ऑटो ई-रिक्शा ग्रामीण सेवा आदि का प्रयोग कर रहा हूं l मैं यह जानने की कोशिश कर रहा हूं कि क्या यह योजना वास्तव में महिलाओं के लिए कल्याणकारी है या फिर यूं ही पैसे की बर्बादी l
इस योजना से वास्तव में दिल्ली की महिला वोटर लाभान्वित हो रही है या फिर कोई और ,क्योंकि इस परियोजना को चलाने के पीछे आम आदमी पार्टी की योजना दिल्ली के महिला वोटर की सहानुभूति, एवं वोट लेना भी है l

इसी दौरान कई ई-रिक्शा शेयर ऑटो ग्रामीण सेवा चलाने वाले भाइयों से भी बात हुई वह वास्तव में इस परियोजना से दुखी हैं l उनका कहना है कि पहले उन्हें सवारी तुरंत मिल जाती थी अब उन्हें सवारियों के लिए इंतजार करना पड़ता हैl क्योंकि महिलाएं अब डीटीसी का इंतजार करती हैं और वह उसी से फ्री में चली जाती हैं l जब महिला बस में सफर करेंगी तो उनके साथ का मर्द भी डीटीसी में ही चला जाता हैl इस कारण से उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ रहा है और वह केजरीवाल जी के इस परियोजना से काफी खफा दिखे l उनका कहना है कि हम अपने रोजगार की कीमत पर  किसी  से समझौता नहीं कर सकते  यह हमारे  रोजी  रोटी  को नुकसान पहुंचाने वाला परियोजना है l, इसका खामियाजा केजरीवाल जी को आगामी विधानसभा चुनाव में पहुंचेगा l
जब हमने इनसे  कहा कि इस योजना से दिल्ली के महिलाओं को बहुत लाभ हो रहा है तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है l दिल्ली के लोग चाहे महिला हो या पुरुष वह ज्यादातर कामकाजी होते हैं और काम के लिए ही वह ई-रिक्शा ग्रामीण सेवा ऑटो आदि का प्रयोग करते हैं l इनमें महिलाओं के पास भी इतना समय नहीं है कि वह डीटीसी बस का प्रयोग करें और भीड़भाड़ एवं और असुरक्षित तरीके से यात्रा करें l फ्री टिकट होने के बाद भी  दिल्ली में लाखों की संख्या में ऑफिस कार्य, फील्ड वर्क, यहां तक कि घरों में काम करने वाली मेड भी डीटीसी बस का प्रयोग नहीं करती हैं l मध्यम एवं उच्च वर्ग की महिलाएं कार, स्कूटर वं मेट्रो का सहारा लेती हैं l
इसलिए दिल्ली की महिलाएं बहुत कम डीटीसी बसों का प्रयोग करती हैं वैसे भी वे इतनी सक्षम है कि अपने गंतव्य एवं कार्य स्थल तक पहुंचने कि पैसे के खर्च स्वयं वहन कर सकें l फिर यह मामला कामकाजी महिलाओं के  स्वाभिमान से भी जुड़ा मामला है l
डीटीसी बसों में ज्यादातर  वह महिलाएं सफर कर रही हैं जो बाहर से आए हुई होती हैं या फिर वापस जिनके पास समय होता है l
कुछ दिल्ली की महिलाएं जो बसों में सफर कर रही थी lउनसे जब हमने पूछा कि  दिल्ली सरकार आपको फ्री में  डीटीसी की सफर करा रही है तो क्या आप उन्हें वोट दोगे तो उन्होंने हंसते हुए कहा  कि क्या हमारे पास पैसे नहीं है जो कि हम डीटीसी बस  की टिकट नहीं ले सकते ?
यह तो सरकार फ्री में दे रही है तो हम इसका प्रयोग कर रहे हैं l
उनका साफ मत था कि  फ्री टिकट के लालच में हम  वोट नहीं करेंगे l
सरकार  बनाने के लिए हमें बहुत सारी चीजों को देखना हैl हम कभी कभार ही डीटीसी से सफर करते हैंl
वैसे भी पांच ₹ की टिकट  बहुत बड़ी रकम नहीं है  इससे ज्यादा हम भीख में ही दे देते हैं l

कुछ कॉलेज के छात्राओं से भी चर्चा करने पर उन्होंने कहा कि सरकार फ्री दे रही है इसलिए हम इसका प्रयोग कर रहे हैं अन्यथा हमारे पास पैसे हैं lअभिभावक हमें इतना पैसे देते हैं कि हम आराम से कॉलेज पहुंचकर अपनी पढ़ाई कर सकें l हमारे लिए नौकरी की  रोजगार  की  ज्यादा  चिंता है उसी को  हम ध्यान रखते हुए अपने अच्छे भविष्य के लिए  चुनाव के वक्त मत का प्रयोग करेंगे l
कुल मिलाकर संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि महिलाओं के लिए फ्री डीटीसी पार्क टिकट की परियोजना दिल्ली के सक्षम एवं स्वाभिमानी  महिलाओं को प्रभावित नहीं कर पा रही हैं l, इसलिए केजरीवाल जी की यह उम्मीद की यह परियोजना उनको वोट दिलवाएगा इसमें उनको पूर्णता निराशा हाथ लगेगी l
मैं दिल्ली को विगत 18 सालों में समझ पाया हूं तो यह है कि पूरे देश में दिल्ली वालों की प्रति व्यक्ति आय प्रथम या द्वितीय पोजीशन पर रहती रही है ऐसा कांग्रेस के समय से ही है l सभी दिल्लीवासी के पास गाड़ी एवं स्कूटर हैl, परियोजना दिल्ली से बाहर आने वाले लोगों को आकर्षित कर सकती है लेकिन यह मूल रूप से दिल्ली वालों के लिए गैर जरूरी परियोजना है l

शैलेंद्र वर्णवाल की कलम से
9891167773