जीवन की गलतियां हमें कुछ ना कुछ सिखाती है लेक़िन क्या



*जीवन मे होनेवाली गलतियां हमे कुछ सीखा के ही जाती हैं-के सी शर्मा*


हम सभी लोगो से life में कभी न कभी ,कही न कही गलतिया जरूर होती है।
ऐसा कोई इंसान नही है जिससे कभी कोई गलती न हुई हो।और अगर वास्तव में देखा जाये तो ये गलतिया हमे कुछ न कुछ सिखा कर ही जाती है।
बसजरूरत है उन शिक्षाओ को समझने की.......

आज का इंसान देह और देह के सर्व संबधो में इतना उलझ गया है की वह न तो खुद को समझ पा रहा है ,न दुसरो को.......

इस तरह वो खुद को धोखा दे रहा है।

जरा सोचिये हमे किस पर इतना अभिमान है....हमारी देह पर ....जो कब तक हमारे साथ रहेगी हम खुद नही जानते।हो सकता है ये आने वाले कुछ पलो में हमे छोड़ कर चली जाये.....फिर इस पर अभिमान क्यों.......??????

किसी को अभिमान होता है खुद के ओहदे पर....post पर.....या कहो तो अपने कार्यरत पद पर......मगर क्या वो ओहदा stable है।हमेशा अपने साथ रहेगा.....नही एक दिन समय आने पर वह ओहदा भी हमसे विदा हो जायेगा।फिर उस ओहदे पर अभिमान क्यों.......??????

किसी को अभिमान होता है अपने धन पर.....और इस धन को पाने के लिए लोग न जाने क्या क्या कर जाते है। मगर सोचिये इतना धन होने पर भी मन को सुख और ख़ुशी क्यों नही महसूस नही होती....???

जरा सी life में कोई दुर्घटना हो जाये तो सारा पैसा पानी की तरह बह जाता है। busyness में जरा सा कुछ ऊपर निचे हुआ की मन की शांति तो गयी ही गयी....साथ में अभिमान करवाने वाला धन भी गया.....फिर इस पर अभिमान क्यों....?????

किसी को अपने रिश्तों नातो पर बड़ा अभिमान होता है।....ये भी आपसी समझ होने पर ही stable हो सकते है।अगर जरा सा सब्र का बांध टुटा तो सारे रिश्ते बिखर जाते है।कभी कभी गलतफहमिया ही इतनी मजबूत हो जाती है हम सही और गलत में फर्क नही कर पाते।.....फिर इन पर भी अभिमान क्यों......??????

अतः कुल मिलकर आज जो भी हमारे पास है।जिस पर हम अभिमान करते है।वो सभी अस्थायी है।इन अस्थायी चीजो के बिच आज इंसान ने खुद को इतना उलझ लिया की खुद को ही भूल गया।

देह अभिमान के कारण आज इंसान में इतना अहम या eggo आ गया है वो हमेशा खुद को सही और दुसरो को गलत मानता है।और इसी देह अभिमान के कारण वो खुद भी सुख और शांति का अनुभव नही करता है।न दुसरो को सुख और शांति दे पाता है।

सोचिये कितना आसान है eggo को ख़त्म करना। बस किसी को माफ़ करना है।और किसी से अपनी गलती की माफ़ी तो मागना है।

और ये दोनों हम किसी और के लिए नही कर रहे है।हम खुद अपने लिए कर रहे है।अपनी ख़ुशी के लिए कर रहे है।

गलतिया हमसे भी होती है।और जब हमे गलती का अहसास हो जाये।उसी वक़्त माफ़ी मांग लीजिये।हमारे west thought तभी बंद हो जायेगे और हम खुद को हल्का अनुभव करेंगे।

अगर हम देह अभिमान वश माफ़ी नही मागते है तो एक गलती को छुपाने में अनगिनत गलतिया कर बैठते है।साथ ही मन की ख़ुशी भी खो देते है।

इसलिए माफ़ी माँगना आसान है, बहुत ही आसान......

और अगर कोई दूसरा भी गलती करे। तुम्हे hurt करे।तो भी वहीँ पर full स्टॉप लगा दे।और उसे माफ़ कर दे।

क्योंकि आज वो आत्मा आपको दुःख दे रही है.....परेशान कर रही है। hurt कर रही है।.....ये आपके ही किये कर्म है जो आज आपके सामने आ रहे है। बेहतर होगा की अब यह फूल स्टॉप लग जाये।वरना ये कर्मो का खाता बढ़ता ही जायेगा।

आज अगर eggo को पकड़ कर रखा तो न खुद सुखी हो पायेगे न दुसरो को सुखी कर पायेगे।

सोचिये परिस्तिथियां आएगी....उन पर हमारा बस नही है।कौन जनता है अगले पलो में क्या होने वाला है।मगर अपने आपको संभालना हमारा काम है।हमारे मन की स्तिथि न बिगड़े।

इसलिए एक ही मन्त्र याद रखे .....
सबको माफ़ कर दे और सबसे माफ़ी माँग ले।
दुसरो के लिए नही,खुद अपने आप के लिए।

हर आत्मा का अपना अपना कार्मिक अकॉउंट है।और ये हिसाब किताब हर आत्मा को चुक्त करना ही है।