गायत्री मंत्र की महिमा या कोई साधारण मंत्र नहीं है



*के सी शर्मा*


गायत्री मंत्र ,यह  प्राण विद्या का वह मंत्र है जो हमारे संपूर्ण मस्तिष्क एवं शरीर पर प्रभाव डालता है।
विशेष रुप से यह प्राणों पर प्रभाव डालता है। जैसे ही आप 20 मिनट  से अधिक गायत्री महामंत्र का जप करेंगे तो आपके शरीर पर विभिन्न प्रकार की क्रिया प्रतिक्रियाऐं  स्वतः  ही होने लगेगी।
जिसका साधक स्वयं अनुभव कर सकता है। ध्यान में आज्ञा चक्र पर आपको सिर्फ उगते हुए सूर्य की आकृति देखनी है ।

वेदों के अनुसार सविता को ही परमात्मा का प्रतिबिंब माना गया है इसके अलावा उसे किसी भी वास्तविक प्रतिबिंब में नहीं बांधा जा सकता ।
 और जब हम संप्रज्ञात समाधि की अवस्था में आते हैं तो यह वास्तविक सत्य है कि हमारे मस्तिष्क में सविता ही प्रकाश पुंज के रूप में प्रकाशित होने लगता है ।
मौन मानसिक रूप से गायत्री महामंत्र का जप अंदर का अंदर चलता रहेगा किंतु  ध्यान आज्ञा चक्र पर। जैसे-जैसे मंत्र जप बढ़ता जाएगा वैसे वैसे श्वासों पर नियंत्रण स्वतःही आता जाएगा।

प्राणायाम की क्रिया अपने आप होने लगेगी ।श्वास लंबी से लंबी एवं गहरी से गहरी होती जाएगी ।मूलबंध एवं उड़ियान  बंध की क्रियाएं स्वतः  होगी ।
जब आप बिना मंत्र जप के आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाने का प्रयास करते हैं तो चाहकर भी आप अपने मन को नियंत्रित नहीं कर सकते क्योंकि मन को कुछ न कुछ सहारा अवश्य चाहिए  ।
देखने मात्र से मन एक स्थान पर नहीं रुकेगा।उसे रोकने के लिए मनुष्य में सामर्थ्य नहीं ।वह सामर्थ्य भी हमें उस सत्यस्वरूप परब्रम्ह परमात्मा से ही मांगनी पड़ेगी ।
गायत्री महामंत्र वही एकमात्र प्रार्थना है जो हम निरंतर उस सत्य स्वरूप सविता परमात्मा से करते हैं  और यह प्रार्थना अत्यंत प्रभावशाली है,अचूक है ,रामबाण औषधि है।
मन को नियंत्रण करने के लिए। जो व्यक्ति एक दिन में  सुबह शाम 3-3 हजार गायत्री महामंत्र का जप कर लेता है विधि-विधान से ।
वह स्वयं देवताओं  के लिए भी सम्मान का पात्र बन जाता है  क्योंकि उसके अंदर उस परब्रह्म परमात्मा का असीम तेज समाहित हो जाता है।

3-3 हजार गायत्री महामंत्र का सुबह शाम जप यदि कोई व्यक्ति 12 वर्ष तक कर लेता है तो संसार में योग की  ऐसी कोई सिद्धि नहीं जो उससे दूर रहेगी।