जाने कैसे मुक्तिदायिनी है श्रीमद्भागवत कथा सुनना और सुनना-के सी शर्मा*



*जाने कैसे मुक्तिदायिनी है श्रीमद्भागवत कथा सुनना और सुनना-के सी शर्मा*


श्रीमद्भागवत कथा सुनना और सुनाना दोनों ही मुक्तिदायिनी है तथा आत्मा को मुक्ति का मार्ग दिखाती है। भागवत पुराण को मुक्ति ग्रंथ कहा गया है, इसलिए अपने पितरों किकी शांति के लिए इसे हर किसी को आयोजित कराना चाहिए। इसके अलावा रोग-शोक, पारिवारिक अशांति दूर करने, आर्थिक समृद्धि तथा खुशहाली के लिए इसका आयोजन किया जाता है।

श्रीमद्भागवत कथा जीवन-चक्र से जुड़े प्राणियों को उनकी वास्तविक पहचान करता है, आत्मा को अपने स्वयं की अनुभूति से जोड़ता हैं तथा सांसारिक दुख, लोभ-मोह- क्षुधा जैसी तमाम प्रकार की भावनाओं के बंधन से मुक्त करते हुए नश्वर ईश्वर तथा उसी का एक अंश आत्मा
से साक्षात्कार कराता है।

भागवत कथा का आयोजन करने तथा सुनने के अनेक लाभ हैं जिनमें कुछ इस प्रकार हैं…

1. इसे सुनने मात्र से हजारों अश्वमेघ यज्ञ आयोजनों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है।

2. गंगा, गया, काशी, पुष्कर या प्रयाग जैसे तीर्थों की यात्रा से भी अधिक पुण्यकारी है भागवत कथा का पाठ या इसे सुनना। इसे सुनने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

3. इसे सुनने वाले पर स्वयं श्रीहरि विष्णु की कृपा रहती है, इसलिए उसके जीवन की सभी समस्याओं का निवारण होता है।

4. जगत के पालनहार की कृपा दृष्टि मिलने से व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं तथा जीवन में प्रगति, खुशहाली तथा समृद्धि के द्वार खुलते हैं।

5. इसे आयोजित कराने तथा सुनने वाले व्यक्तियों-परिवारों के पितरों को शांति तथा मुक्ति मिलती है। यह व्यक्ति को सभी प्रकार के पितृ-दोषों से निजात दिलाता है।

6. इस कथा को सुनने मात्र से व्यक्ति के जीवन से जुड़ा हर दोष नष्ट होता है, उसकी नकारात्मकता जाती रहती है और हर प्रकार से वह सकारात्मक हो जाता है। उसे स्वास्थ्य, समृद्धि मिलती है तथा भाग्य में वृद्धि होती है।

7. इसे सुनने के क्रम में आत्मिक ज्ञान की प्राप्ति करते हुए आप सांसारिक दुखों से निकल पाते हैं। मनोकामना पूर्ति होती है।

8. श्रीहरि के कृपापात्रों को संसार में कोई भयभीत नहीं कर सकता। इसलिए ऐसे व्यक्तियों को बुरी नजर, भूत-प्रेत बाधा आदि से भी मुक्ति मिलती है। पारिवारिक-मानसिक अशांति, क्लेश का नाश होता है, शत्रुओं पर विजय मिलता है तथा उनका शमन होता है।

9. रोजगार के नए अवसर मिलते हैं तथा समाज में प्रसिद्धि-सम्मान की प्राप्ति होती है।

10. दरिद्रता का नाश, दुर्भाग्य तथा सभी प्रकार से क्रोध-शोक का नाश होता है।

11.भागवत कथा को सुनना जितना पुण्य प्राप्ति का माध्यम है उतना ही इसका आयोजन करना भी।