पहचानिये अपनी शक्ति को!*समझिये, हम कैसे कार्य करते हैं,*



*पहचानिये अपनी शक्ति को!*समझिये, हम कैसे कार्य करते हैं,*

हम एक आत्मा हैं,जिसके तीन प्रारूप मन, बुद्धि और संस्कार कार्य करते हैं,
तो ये कह सकते हैं कि आप ही मन ,बुद्धि और संस्कार का जोड़ हैं।
अब इस मन की शक्ति का कमाल देखिये कि ये कैसे जादू करती है।

मान लीजिए

आप अपनी खिड़की से दूर एक पेड़ को देखते हैं,आपने अगर उस पेड़ को कुछ देर देख लिया तो मन का जादू चुपचाप उसे आपके अंदर प्लांट कर देगा,फिर अगर बुद्धि के रूप में आपने उसको कुछ देर देख लिया तो उसकी जड़ें आपके अंदर ग़हरी उतर कर मज़बूत हो जाएंगी,और उसे automatically संस्कार खाद पानी देकर उस पर फूल,फल लगा देते हैं,अब आपकी memory पर इतना बड़ा पेड़ उग जायेगा तो आपके सिर को भारी करेगा ही,अब अगर इस पेड़ पर कांटे या ज़हरीले फूल फल लगेंगे तो आपके जीवन में तकलीफ़ लाएंगे ही।
हमारे अंदर कोई भी बात गहरे तभी उतरती है जब हम अपने चिंतन से उसे अपनी शक्तियां देते हैं,अगर हम उसे ख़ुराक़ ना दे तो कोई भी व्यर्थ या नकारात्मक बात एक पल भी मन में ठहर नहीं सकती।
तो कृपया ऐसे व्यर्थ की बातों के पेड़ को देखते ही मन की दृष्टि वहाँ से हटा लें तो फिर समस्या इतनी बढ़ेगी ही नहीं की उसकी जड़ काटने के लिए हमें बाद में परेशान होना पड़े।

बजाय इसके

मन की दृष्टि अगर सार्थक बातों,ज्ञान,सकारात्मकता,व् प्रभु की याद के बगीचे पर रखें तो यही बुद्धि व् संस्कार जब उसे खाद पानी देकर वटवृक्ष बनाएंगे तो हमें प्रभु शक्तियों की शीतल छाया भी मिलेगी,मन हल्का होकर उड़ता रहेगा और खुशियों की सुगंध से जीवन भी महकता रहेगा।