मृत्यु तो सबकी अटल है -वरिष्ठ पत्रकार के सी शर्मा का लेख



*जाने कैसे करे, तैयारी मरने की- के सी शर्मा*


मृत्यु तो सबकी अटल है। आज या कल। लोग कहते है जन्म और मृत्यु हमारे हाथ में नहीं है। लेकिन यह पूर्ण सत्य नहीं है।
आप जहाँ जन्म लेना चाहते है.... जैसा जन्म लेना चाहते है बिल्कुल ले सकते है...!
 आप कब, कहा, कैसे मरना चाहते है वैसे ही मर भी सकते है...!
ये कोई भी आश्चर्य की बात नहीं है, लेकिन यह हमारे ही अपने कर्मों का खेल है।
 अगर हम आत्मा को इतना शक्तिशाली और पवित्र बना सके तो इस संसार में कोई भी चीज हमारे लिए असंभव नहीं।
और आत्मा को इतना शक्तिशाली एवं पवित्र बनाने के लिए सर्वशक्तिमान परमात्मा से योगयुक्त होना ही पड़ेगा। क्योंकि दुःखदायी... पीड़ादायी और रोग से जर्जर हो कर मरना तो कोई भी पसंद नहीं करेगा।

*कम सोचो*

आज की उस तमोप्रधान विकारी दुनिया में चारों और नकारात्मक और विकारी वातावरण है। इसका असर शिशु से लेकर मरणासन्न व्यक्ति तक है।

चिंताओं से भरी दुनिया में चैन तभी मिल सकेगा जब हम अपनी मानसिक ऊर्जा को, अपने मनोबल को अर्थात शुभ सोचने की शक्ति को बढ़ायेंगे।

तो चलो सच्चे आनंद का अनुभव करने के लिए आज से आनेवाले 15 दिनों तक यह अभ्यास करें...
प्रतिज्ञा करें...

चाहे जो भी हो जैसी भी परिस्थिति हो... मैं कम सोचूँगा....
अच्छा सोचूँगा और अपने मन को शांत रखूँगा।

ना किसी के प्रभाव में रहो न अभाव में रहो, बल्कि अपने स्वभाव में रहो।
याद रहे नाव पानी में रहे, पर पानी नाव में ना आ पाए ।
अपने जीवन को Antivirus से सुरक्षित कर लीजिए।
Antivirus क्या है ?? "" ध्यान, प्राणायाम, योग, साधना, सेवा, सत्संग "" - हमेशा इन चीजों को अपनाकर अपना जीवन अच्छा बनाइए और साथ ही दूसरों का भी।

याद रहे हम यहाँ बस देने के लिए आये हैं ।
 जब ये भाव मन में आ जायेगा, समझ लो तुम्हें सबकुछ मिल गया।