प्रभु श्रीराम ने समाज को संगठित कर, मर्यादित जीवन की विचारधारा के सूत्र में बांधा: रवि



उझानी: नगर के समीमवर्ती गांव तेहरा स्थित शिव मंदिर प्रांगण में मेरे राम कथा समिति की ओर से चल रही सेवा और संस्कारों को समर्पित नौ दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवें दिन श्रीराम का राज्याभिषेक, राम-दशरथ संवाद, राम-कौसल्या संवाद, केकई के वचन, श्रीराम का वनवास आदि प्रसंगों का श्रवण कराया गया। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीराम का पूजन कर भव्य आरती की।
कथावाचक महाराज रवि समदर्शी ने कहा प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक की तैयारी में अयाध्योध्या नगरी आनंदमय थी। माता केकई ने राजा दशरथ से मांगे वचनों से श्रीराम को लोककल्याण के कत्र्तव्यों का बोध कराया। भगवान श्रीराम ने चैदह वर्ष का वनवास सहर्ष स्वीकार कर वन गए। प्रभु श्रीराम ने राक्षसों का वध कर समाज को संगठित कर धर्म के मार्ग पर चलाया। मर्यादित जीवन की विचारधारा के सूत्र में बांधा। जंगलों, पहाड़ों और गुफाओं में रहकर सुव्यवस्थित जीवन जीने की कलाओं को सिखाया। मारीच, खर, दूषण और रावण का वध कर बुराईयों का अंत किया। अत्याचारों, मुश्किलों चुनौतियों का सामना करने का अदम्य साहस भी भरा। उन्होंने कहा कि बहुमूल्य जीवन के लिए माता पिता की आज्ञा मानें। गुरुजनों से श्रेष्ठ संस्कार अर्जित कर सभ्य समाज का निर्माण करें।
इस मौके पर रामफल सिंह, जयसिंह, ओमकार सिंह, राय सिंह, अनार सिंह, बलवीर, रामदत्त, श्याम बहादुर, रामखेत, रामवीर, शिवनारायण, सुरेश, जबर सिंह, शिशुपाल, राजेश्वर, ओमप्रकाश शर्मा, सुधीर कुमार, पुष्पेंद्र यादव, रीना, गजेंद्र पंत, हरीओम पोषाकी सिंह, रामरहीस, दुर्गपाल सिंह, डाॅ. अशोक प्रजापति, विचित्र सक्सेना, राहुल, वेदपाल सिंह आदि मौजूद रहे।


 गोविंद राणा बदायूं