सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल के बच्चों की प्रतिभा को अपर नगर आयुक्त ने सराहा







              संवाददाता
  गाजियाबाद। सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में आयोजित तीन दिवसीय "पॉम-पाॅम शो" के दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि एवं अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार ने कहा कि  वैश्विक स्तर पर जिस पारिस्थितिकी संकट से गुजर रहे हैं, उससे आने वाली पीढ़ी और यह बच्चे ही निजात दिला सकते हैं। कवि नगर शाखा में शुक्रवार को आयोजित समारोह में श्री कुमार ने इस बात पर हैरानी जताई कि नन्हें मुन्ने बच्चे स्वच्छता, प्रर्यावरण, विकृत खान-पान और नदियों के संकट को अपनी प्रस्तुतियों का विषय चुन रहे हैं। इससे पूर्व बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र शाखा में आयोजित समारोह
को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्रीमती स्मिता सिंह ने कहा कि अभिभावक, शिक्षक और बच्चे एक ही सूत्र में बंधे हैं। उत्तर प्रदेश राजकीय औद्योगिक विकास निगम की क्षेत्रीय प्रबंधक श्रीमती सिंह ने कहा कि उनकी बेटियों की प्रारंभिक शिक्षा भी इसी स्कूल में हुई है, लेकिन ‌उच्चतर कक्षाओं में पहुंचने के बादजूद उनका पुराने स्कूल से जुड़ाव यह साबित करता है कि गुरु शिष्य का रिश्ता गर्भनाल जैसा होता है। इस रिश्ते की दूसरी कड़ी हैं अभिभावक, जिन्हें यह सोचना चाहिए कि जिस बच्चे रूपी पौधे को उन्होंने शिक्षा के आंगन में रोपा है उसकी जड़ें मजबूत कैसे हों। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पार्षद हिमांशु मित्तल ने कहा कि यह सबसे सुखद पहलू है कि बच्चों को भारतीय संस्कृति की शिक्षा दी जा रही है।
  अपने संबोधन में चेयरमैन रो. डॉ. सुभाष जैन ने ‌कहा कि उनके नाती-पोते भी इसी स्कूल में पढ़ते हैं। लिहाजा हमारी कोशिश रहती है कि हम शिक्षा का ऐसा वातावरण बनाए रखें जो संस्कारवान बच्चों की उत्तम पौध तैयार कर सके। डॉयरेक्टर प्रिंसिपल डॉ. माला कपूर ने कहा कि स्कूल तैंतीस साल की यात्रा कर 34वें साल में प्रवेश कर गया है। इस अवधि में स्कूल की शाखाएं एक से बढ़कर तीन हो गई हैं। जो अभिभावकों के विश्वास का ही प्रतिफल हैं। उन्होंने कहा कि आज के बच्चे बहुत जल्दी परिपक्व हो रहे हैं। हमारे आचरण और भाषा को अंगीकार करने को यह आतुर रहते हैं।  लिहाजा अभिभावकों को इनके सामने नकारात्मक सोच और भाव प्रकट करने से बचना चाहिए। कुछ अभिभावकों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वह बच्चों के प्रति शिक्षकों के समर्पण को समझ सकते हैं। घर में एक दो बच्चों को संभालना आसान नहीं है और यहां शिक्षक को मेढ़क सरीखी बच्चों की पूरी फौज संभालनी पड़ती है। इस अवसर पर शिक्षाविद श्रीमती संतोष ओबरॉय, वाइस प्रिंसिपल डॉ. मंगला वैद, श्रीमती बबीता जैन, नमन जैन, निधि जैन, कविता सरना, रेनू चोपड़ा, उमा नवानी, आलोक यात्री, पूर्व पार्षद मोनिका मित्तल, दीपाली जैन "जिया" व प्रतीक्षा सक्सेना सहित बड़ी संख्या में अभिभावक मौजूद थे।