लेखन में घातक सिद्ध होते हैं सिद्धांत और परंपरा : कमल वंदना जोशी, मनु लक्ष्मी, चारू, फलक, ज़िया और रश्मि पाठक की कहानियों पर हु





संवाददाता  गाजियाबाद। कालजई रचनाएं राजनैतिक विचारधारा से मुक्त होती हैं। मौजूदा दौर राजनीतिक विचारधाराओं के पोषण का समय है। राजनैतिक विचारधारा से प्रेरित रचनाएं एक दिन स्वयं समाप्त हो जाती हैं। हिंदी की हर विधा में स्थापित रचनाकार कमलेश भट्ट 'कमल' ने मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के "कथा संवाद" में उक्त विचार प्रकट करते हुए कहा कि लेखन में सिद्धांत और परंपराएं घातक सिद्ध होती हैं‌। अधिकांश बड़े रचनाकारों ने खास विचारधारा को अपने लेखन पर हावी नहीं होने दिया।
  होटल रेडबरी में आयोजित "कथा संवाद" के अध्यक्ष श्री कमल ने कहा कि ऐसे आयोजन नवागंतुकों की आदर्श पाठशाला हैं। यहां पढ़ी गईं तमाम रचनाएं इस बात का संकेत हैं कि इस मंच पर भविष्य के बड़े रचनाकार जन्म ले रहे हैं। मनु लक्ष्मी मिश्रा की कहानी "जीवन और संघर्ष", वंदना जोशी की कहानी "सिक्का" और अजय फलक की कहानी "मुक्ति" को उन्होंने उत्कृष्ट रचना बताया। रश्मि पाठक की कहानी "अवरोध" पर चर्चा करते हुए आलोक यात्री ने कहा कि कहानी का विषय, भाव दोनों सराहनीय हैं लेकिन वृतांत अधिक है। जिसे समेटा जाना चाहिए। श्री कमल ने कहा कि "अवरोध" में दो कहानियां समाहित हैं। जिन्हें अलग करना बेहतर होगा। चारू देव की 'मां" पर चर्चा करते हुए वरिष्ठ व्यंग्यकार व समीक्षक सुभाष चंदर ने कहा कि एक नवयौवना की दो बच्चों के विधुर पिता से विवाह की स्वीकारोक्ति को जस्टिफाई किया जाना शेष है। दीपाली जैन ज़िया की कहानी "सवाल" की नायिका राधिका पर चर्चा के दौरान वरिष्ठ पत्रकार महकार सिंह ने कहा कि दीपाली ने बोल्ड विषय पर कहानी लिखने का साहस दिखाया है। प्रासंगिक विषय पर आधारित इस कहानी को सावधानी से संवारा जाना चाहिए। 'सवाल" पर प्रश्न उठाते हुए वंदना जोशी ने कहा कि नैतिकता और अनैतिकता के बीच की इस कहानी में रोमांटिसिजम की कमी दूर कर कहानी को और सशक्त किया जा सकता है। संवाद में सीताराम अग्रवाल, सुरेंद्र सिंघल, सुभाष अखिल, डॉ. तारा गुप्ता, डॉ. बीना मित्तल, डॉ. बीना शर्मा, अक्षयवरनाथ श्रीवास्तव, रमेश शर्मा, राजेंद्र नाथ पांडेय, वागीश शर्मा, सीमा सिंह, तूलिका सेठ ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई। कार्यक्रम का संचालन दीपा जैन ज़िया ने किया। संस्था के अध्यक्ष शिवराज सिंह ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर श्रीमती प्रज्ञा पांडे, भारत भूषण बरारा, सुदर्शना, दिनेश दत्त पाठक सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।