इस पवित्र सरोवर में स्नान करने से मिलता है मोक्ष-के सी शर्मा




श्रीमद् भागवत और पुराणों में भी है इन सरोवरों का वर्णन..ल

सनातनधर्म में जैसे नदियों को पवित्र व मां समान बताया गया है, उसी प्रकार कई सरोवरों को भी अत्यधिक पवित्र का दर्जा दिया गया है। एक ओर जहां गंगा को देवी का स्थान दिया गया है। वहीं धर्मशास्त्रों में यमुना को सूर्य की पुत्री व यमराज की बहन का दर्जा प्राप्त है।

इसी तरह शास्त्रों में ऐसे सरोवरों के बारे में भी बताया गया है,जिनके बारे में यह कहा गया है कि यहां स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जानकारों की मानें तो 'सरोवर' का अर्थ तालाब, कुंड या ताल नहीं होता। बल्कि यह एक तरह की झील हैं। भारत में सैकड़ों झीलें हैं लेकिन उनमें से कुछ का ही धार्मिक महत्व है। श्रीमद् भागवत और पुराणों में भी प्राचीनकालीन ऐसे 5 पवित्र ऐतिहासिक सरोवरों का वर्णन मिलता है।

वैसे तो कलयुग में केवल राम नाम आपको मोक्ष दिलवा सकता है लेकिन इस सरोवरों का विशेष धार्मिक महत्व है। इन सरोवरों के बारे में बताया जाता है कि यहां स्नान करने से सभी पापों का अंत हो जाता है और ईश्वर का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इन सरोवरों में देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों की निशानियां मिल जाएंगी और साथ में ईश्वर के होने के प्रमाण भी।

*ये हैं सनातन धर्म के 5 पवित्र सरोवर :-*

1. कैलाश मानसरोवर

यह एक ऐसा धार्मिक सरोवर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहीं पर माता पार्वती स्नान करती थीं। साथ ही पुराणों में इसे देवताओं की झील कहा गया है। यह मानसरोवर भगवान शंकर के निवास स्थान कैलाश पर्वत के पास स्थित है।

यह एकमात्र ऐसा सरोवर है, जो अपनी पवित्र अवस्था में आज भी मौजूद है, वहीं यह आज चीन के अधीन है। कैलाश मानसरोवर को सरोवरों में प्रथम पायदान पर रखा जाता है।

कैलाश पर्वत को शिव का धाम माना जाता है और मानसरोवर इसी के पास स्थित हैं। यह हिन्दुओं के लिए प्रमुख तीर्थस्थल है। संस्कृत शब्द 'मानसरोवर', मानस तथा सरोवर को मिलकर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- 'मन का सरोवर'। हजारों रहस्यों से भरे इस सरोवर के बारे में जितना कहा जाए, कम होगा।

शिवपुराण, स्कंद पुराण, मत्स्य पुराण आदि कई ग्रंथों और शास्त्रों में इस सरोवर की महिमा का गुणगान किया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्माजी के मन से यह सरोवर उत्पन्न हुआ था। यहीं पर देवी सती का दायां हाथ गिरा था, इसलिए पाषाण शिला को उसका रूप मानकर पूजा की जाती है।

2. बिंदु सरोवर (गुजरात)

गुजरात की राजधानी अहमदाबाद से 130 किमी दूर बिंदु सरोवर को विशेष महत्व है। यहां कपिलजी के पिता कर्दम ऋषि ने 10,000 साल तक तपस्या की थी। यहां पर उनका आश्रम भी है, जो द्वापर का तीर्थ तो था ही आज भी तीर्थ है।

कपिल मुनि सांख्य दर्शन के प्रणेता और भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। इस स्थल का वर्णन ऋग्वेद की ऋचाओं, रामायण और महाभारत में मिलता है। यहां पर भगवान परशुराम ने अपनी माता का श्राद्ध किया था।

इस स्थल का वर्णन ऋग्वेद की ऋचाओं में मिलता है जिसमें इसे सरस्वती और गंगा के मध्य अवस्थित बताया गया है। संभवतः सरस्वती और गंगा की अन्य छोटी धाराएं पश्चिम की ओर निकल गई होंगी। इस सरोवर का उल्लेख रामायण और महाभारत में मिलता है।

3. पुष्कर सरोवर (अजमेर)

राजस्थान के अजमेर में स्थित पुष्कर सरोवर का संबंध भगवान ब्रह्मा से है। पुराणों में बताया गया है कि यह कई प्राचीन ऋषियों की तपोभूमि भी रहा है। यहां विश्व का प्रसिद्ध पुष्कर मेला लगता है।

इस सरोवर के पास भगवान ब्रह्माजी का एकमात्र मंदिर है। इस सरोवर के पास भगवान ब्रह्माजी ने यज्ञ किया था, जिसके कारण इस सरोवर को मोक्ष दायक माना गया। मान्यता है कि भगवान राम ने भी अपने पिता का श्राद्ध भी यहीं किया था।

पुष्कर के उद्भव का वर्णन पद्मपुराण में मिलता है। पुष्कर का उल्लेख रामायण में भी हुआ है। विश्वामित्र के यहां तप करने की बात कही गई है। अप्सरा व मेनका यहां के पावन जल में स्नान के लिए आई थीं। सांची स्तूप दानलेखों में इसका ‍वर्णन मिलता है।

झील की उत्पत्ति के बारे में किंवदंती है कि ब्रह्माजी के हाथ से यहीं पर कमल पुष्प गिरने से जल प्रस्फुटित हुआ जिससे इस झील का उद्भव हुआ। यह मान्यता भी है कि इस झील में डुबकी लगाने से पापों का नाश होता है।

4. नारायण सरोवर (गुजरात)

गुजरात के कच्छ जिले में स्थिति नारायण सरोवर को लेकर मान्यता है कि यहां भगवान विष्णु ने स्नान किया था। पवित्र सरोवर के पास भगवान आदिनारयण और कोटेश्वर शिव मंदिर है। यहां लोग अपने पितरों का श्राद्ध भी करते हैं। यहां सिंधु नदी का सागर से संगम होता है।

इस पवित्र नारायण सरोवर की चर्चा श्रीमद् भागवत में मिलती है। इस पवित्र सरोवर में प्राचीनकालीन अनेक ऋषियों के आने के प्रसंग मिलते हैं।चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी इस सरोवर की चर्चा अपनी पुस्तक 'सीयूकी' में की है।

श्रीमद् भागवत समेत कई पुराणों और ग्रंथों में इस सरोवर के महत्व के बारे में वर्णन किया है। यहां आदि शंकराचार्य भी यहां आए थे।

5. पंपा सरोवर (मैसूर)

मैसूर के पास स्थित पंपा सरोवर का एतिहासिक महत्व है। कहा जाता है रामायण काल में वर्णित किष्किंधा यहीं है। पंपा सरोवर के आसपास का स्थान राम कथा से जुड़ा है। यहां सीता कुंड व एक अन्य सरोवर मानसरोवर है।

वहीं हंपी के निकट बसे हुए ग्राम अनेगुंदी को रामायणकालीन किष्किंधा माना जाता है। माना जाता है कि वास्तव में रामायण में वर्णित विशाल पंपा सरोवर यही है, जो आजकल हास्पेट नामक कस्बे में स्थित है।

पंपा सरोवर के निकट पश्चिम में पर्वत के ऊपर कई जीर्ण-शीर्ण मंदिर हैं। सरोवर के पास में एक पर्वत पर गुफा भी है, जिसे शबरी की गुफा कहते हैं। बताया जाता है यह वही गुफा है, जहां शबरी ने भगवान राम और लक्ष्मण को बेर खिलाए थे। मान्यता के अनुसार इसी के निकट शबरी के गुरु मतंग ऋषि के नाम पर प्रसिद्ध 'मतंगवन' था।