मासूमों व गरीब ग्रामीणों की मौत के दोषी रिलायंस सीईओ के विरुद्ध एफ़आईआर दर्ज करने की माँग हुई तेज


 सिंगरौली 14 दिन बाद भी आधा दर्जन लोगों और सैकड़ो पशुओं की मौत के दोषी सासन अल्ट्रा मेगा पॉवर सिंगरौली के सीईओ व प्रबंधन के अन्य ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की तो सिंगरौली के युवाओं, बच्चों ने पोस्टर, बैनर बनाकर व सोशल मीडिया में एफआईआर दर्ज करने की माँग करने लगे।
डॉक्टर शिवम् पांडेय, आनंद पांडेय, प्रवीण शुक्ला, दीपांशु द्विवेदी, ललित पांडेय व सैकड़ों युवकों ने कहा ने वो आवाज़ उठा रहे हैं उन 3 वर्ष, 8 वर्ष व 9 वर्ष के मासूमों की मौत के दोषियों को गिरफ़्तार करने की। ज़रा सोचिए कितना चीखे होंगे वो मासूम, कितनी आवाज़ लगाई होगी जब उनके शरीर के अंदर ज़हरीली राख का सैलाब प्रवेश कर रहा होगा, कितना तड़पे होंगे वो बच्चे और फिर प्राण त्यागे होंगे।
युवाओं ने कहा कि हम आवाज़ उठा रहे हैं उन लोगों की जिन्होंने कई हज़ार लीटर ज़हरीली राख और टॉक्सिक पीकर दर्दनाक मौत की आग़ोश में समाए होंगे।
हम आवाज़ उठा रहे हैं उन दर्जनों गायों- बैल, भैंस व अन्य बेज़ुबान मवेशियों की मौत की जो दलदल में फँस कर सैकड़ों लीटर ज़हर पिया होगा और फिर दर्दनाक मौत हुई होगी।

हम आवाज़ उठा रहे हैं इन सभी मौतों के ज़िम्मेवार सासन अल्ट्रा मेगा पॉवर प्लांट सिंगरौली के सीईओ और अन्य प्रबंधकों के ऊपर एफआईआर दर्ज करवाने की और उसे जेल भेजवाने की ।

युवाओं ने यह भी कहा कि लॉकडाउन ख़त्म होते ही वो सभी सुप्रीम कोर्ट में सामूहिक रूप से याचिका दायर करेंगे व सर्वोच्च अदालत को स्थिति से अवगत कराकर दोषियों के ख़िलाफ़ दर्ज करने की माँग करेंगे। आक्रोशित युवकों ने कहा कि इतनी बड़ी घटना के बाद एफ़आईआर तो सबसे पहले होना चाहिए था, पर ऐसा नहीं हुआ अतः सब कोर्ट जाएँगे ही, यह हमारा अधिकार है। पर कुछ विरोध मानवता के लिए भी किया जाता है, कुछ विरोध जाति-धर्म से ऊपर उठकर न्याय के लिए भी किया जाता है।

पीड़ित और शोषित आम सिंगरौली परिक्षेत्र के लोगों के साथ ना तो किसी राजनीतिक पार्टी के प्रतिनिधि हैं और ना ही उद्योगों और प्रशासन के। हम सिंगरौली के पढ़े-लिखे युवा, आमजन हैं जो अक्सर ऐसी भयावह दुर्घटना देखते-सुनते हैं, और फिर नई दुर्घटना का इंतज़ार करते हैं। कोरोना महामारी की वजह से हम इस समय अपने घरों के अंदर हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से बेक़सूर 6 लोगों की दर्दनाक मौत, जिसे सुनकर भी हम सिहर उठते हैं, उस घटना के ज़िम्मेदारों को सज़ा दिलाने का सार्थक प्रयास कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर किए गए विरोध में बहुत शक्ति है, वो आपने देखा भी, चाहे पालघर का मामला हो चाहे, अर्नब गोस्वामी का।

डॉ शिवम् पांडेय ने कहा कि हम लोग ना ही किसी राजनीतिक  पार्टी से हैं, ना ही हमारा कोई एनजीओ है। हम सिंगरौली के पढ़े-लिखे युवा हैं है  जो  सिर्फ  अपना  विरोध  कोरोना  को  ध्यान  मे  रखते  हुए  अपने  घरो  से  कर रहे हैं और कई लोगों, सैकड़ों मवेशियों की मौत के ज़िम्मेदार रिलायंस पॉवर प्लांट सिंगरौली के सीईओ के ऊपर एफआईआर दर्ज करवाने और उसे जेल भेजवाने, शुद्ध  हवा  पानी  के लिए विरोध कर रहे हैं।

क्योंकि हमारे नेता इतनी मौतों के बाद भी ख़ामोश हैं इसलिए हम युवा दोषी को सजा दिलाने की माँग कर रहे हैं।

उन्होंने धन्यवाद दिया अपने साथ के सभी तरुणाई को जो इस  मुहीम  मे साथ हैं, और कहा कि हम इसी तरह यह विरोध जारी रखेंगे और आने वाले दिनो में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालकर दोषीयों को सजा दिलाएँगे।

सोशल मीडिया पर बहुत अहम प्रश्न युवको ने उठाया :

6 लोगों की मौत के ज़िम्मेदार रिलायंस #सासन पॉवर प्रोजेक्ट #सिंगरौली के सीईओ पर एफआईआर क्यों नहीं?

सैकड़ों बेज़ुबान पशुओं की मौत व महामारी फैलाने के ज़िम्मेदार सासन पॉवर प्लांट सिंगरौली के ज़िम्मेदारों पर एफआईआर क्यों नहीं?

सिंगरौली परिक्षेत्र के लाखों लोगों के खाने, पानी, हवा को प्रदूषित व ज़हरीला करने वाले अत्यंत प्रदूषित सासन पॉवर प्रोजेक्ट #सिंगरौली अब तक बंद क्यों नहीं?

लाखों मैट्रिक टन ज़हरीले टॉक्सिक व फ़्लाईऐश लाखों लोगों के पानी के श्रोत रिहंद सागर में डालने के आरोपी सासन पॉवर प्लांट सिंगरौली के ज़िम्मेदारों पर एफआईआर क्यों नहीं?

मित्रों, सोशल मीडिया की ताक़त सबसे बड़ी है? सिंगरौली के शोषित, पीड़ित युवा यह नहीं सोचें की वह कुछ नहीं कर सकते, सोशल मीडिया पर अपने तरीक़े अपना विरोध दर्ज करें, उस विरोध में बहुत ताक़त है।


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