जानिए गंगा विश्व के सर्वोच्च मानवता की युगों-युगों से बहती हुई पीड़ा है-के सी शर्मा

बचपन से ही,पी रहा,नहा रहा हूं इसे व इसमें
अब इसने मेरे ह्रदय में जगह बना ली है
मेरे अंग-अंग,रोम रोम में समा सी गई
लगातार बहती ही जा रही यह असीम गंगा
अपने द्वारा उकेर दी गई पीड़ा की
औषधि, विश्व भर में मात्र आप हैं
एक बार स्नान करने से समस्त पापो से मुक्त करने वाली
बार बार स्नान करने पर एक अनोखी सी मादकता बन कर बहनें सी लगती है मानो एक ज़ीवन में,
और बहनें सी लगती है एक अनोखी सी लहर
जो जोड़ ती है जीवन को हिमालय से सागर से,
एक आदर्श है गंगा,
सुरसरि का करुणा मयि हो मर्त्य लोक में बहना अमृत बन कर
सबकी पीड़ा को पीना उनके घृणा के साथ
उनमें अमृत बांटते हुए, जीवन रस का संचार करते हुए
बहते रहना एवं बहते बहते
पुनः अपने अनंत में विलीन हो जाना