भोपाल.एमपी बोर्ड की 12वीं कक्षा की आंचल जैन ने वाणिज्य वर्ग में प्रदेश में थर्ड रैंक हासिल की

भोपाल.एमपी बोर्ड की 12वीं कक्षा की आंचल जैन ने वाणिज्य वर्ग में प्रदेश में थर्ड रैंक हासिल की। उन्होंने 500 में से 479 अंक हासिल किए। उनके अलावा प्रशांत गावंडे ने 500 में से 471 अंकों के साथ नौवां स्थान बनाया। इसके अलावा कला वर्ग में भोपाल के कृष्ण कुमार पटेल (466 अंक, नौवां स्थान), विज्ञान वर्ग में सुमित शुक्ला (482 अंक, 9वां स्थान), वाणिज्य में जेनब अली (474 अंक, 6वां स्थान), अनुज नायक (470 अंक, दसवां स्थान), विज्ञान-जीव में रजनीश सिंगरौले (483 अंक, 5वां स्थान), शैल्य सिंह (477 अंक, 8वां स्थान) और इल्मा खान (476 अंक, 9वां स्थान) ने अपने- अपने वर्ग में स्टेट टाॅपर्स में जगह बनाई। आंचल और प्रशांत की कहानी, उन्हीं की जुबानी-
आंचल ने कहा- डिप्रेशन से निकलना आसान नहीं था
यहां तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है। 10वीं कक्षा में सबसे ज्यादा अंक आने के बाद भी मैरिट में नहीं आ सकी थी, क्योंकि लिस्ट बेस्ट फाइव पर तय हुई थी। मैं डिप्रेशन में आ गई थी। लोगों से दूर रहना और अपने में ही गुम रहना शुरू कर दिया था। छोटी-छोटी बातों पर चिढ़ना और जल्दी गुस्सा आना शुरू हो गया था। करीब एक साल तक डिप्रेशन में रहने के बाद मैंने डांस और कुकिंग का सहारा लिया। मैंने इसी में अपना ध्यान लगाया। आज भी जब थोड़ी चिंता होती है, तो मैं डांस और कुकिंग ही करती हूं। कभी पढ़ाई को बोझ की तरह नहीं लिया। छोटे-छोटे लक्ष्य बनाए और फिर तय लक्ष्य को पाने की कोशिश की। आज का काम, कल पर नहीं टाला। हां, मोबाइल फोन और सोशल दुनिया से दूर रही। घर- परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना पसंद है। मेरी मां मेरे साथ रात-रात भर जाकर मेरा ख्याल रखती थीं। मेरी छोटी बहन ने इसी साल 10वीं में टॉप-10 में जगह बनाई।
भोपाल के प्रशांत ने वाणिज्य वर्ग में राज्य में 9वीं रैंक बनाई।
आर्थिक परेशानी को पीछे छोड़ सुपर-100 में चयनित हुआ प्रशांत
मूलत: बैतूल के रहने वाले प्रशांत गावंडे ने वाणिज्य वर्ग में 9वीं रैंक हासिल की। प्रशांत बताते हैं कि पिता नगर पालिका में डेलीवेज पर हैं। पढ़ाई का मन करता था, लेकिन पैसों की कमी के कारण मन मारना पड़ता था। जैसे-तैसे करके एमपी के सुपर-100 में चयन हो गया। उसके बाद लगा जैसे सपना पूरे हो गए। भोपाल के सुभाष स्कूल में एडमिशन मिल गया। हॉस्टल में रहने के साथ ही खाना और पढ़ाई के लिए शासन की मदद मिली। वहीं से असली पढ़ाई शुरू की। दोस्तों के साथ रहना अच्छा लगता है। पापा-मम्मी ने बहुत कष्ट उठाकर यहां तक पहुंचाया है। पापा ने मजदूरी तक की है। उनका सपना एक बेटा को इंजीनियर और दूसरे को सीए बनाने का है। बड़े भाई की इंजीनियरिंग पूरी होने वाली है। आज मेरे रिजल्ट से पापा-मम्मी बहुत खुश हैं। अब नवंबर में सीए फाउंडेशन के एक्जाम की मेरा लक्ष्य है।