भारत में ही मोबाइल और कार बैटरी बनाने के लिए सरकार खर्च करेगी 71 हजार करोड़ deepak tiwari

नई दिल्ली। इलेक्ट्रिक गाड़ियों और एनर्जी स्टोरेज को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय बैटरी पॉलिसी (Nation­al Bat­tery Pol­i­cy) तैयार कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इसे जल्द ही कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। इस पॉलिसी में भारत में लिथियम आयन के अलावा भी सभी तरह के एडवांस केमिस्ट्री सेल के मैन्यूफेक्चरिंग के लिए गीगा फैक्टरीज को बनाने के लिए इंसेंटिव दिए जाएंगे। सरकार की ओर से इंसेंटिव योजना से बैटरी बनाने वाली दक्षिण कोरिया की एलजी कैमिकल और जापान की पेनासॉनिक कॉर्प को फायदा हो सकता है। इसके अलावा भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कंपनियों टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा को भी लाभ मिलेगा।

जल्द आ रही है बैटरी पॉलिसी- लिथियम आयन सहित सभी एडवांस केमिकल केमिस्ट्री सेल बैटरी को बढ़ावा देने के लिए पॉलिसी आ रही है। पॉलिसी को लागू करने की जिम्मेदारी भारी उद्योग मंत्रालय की होगी। तेल पर निर्भरता कम करने और प्रदूषण में कटौती को लेकर सरकार कई कदम उठा रही है। इसमें इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देना भी शामिल है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि मैन्युफैक्चरिंग और चार्जिंग स्टेशन जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर पर निवेश नहीं किया जा रहा है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत में बीते कारोबारी साल में केवल 3400 इलेक्ट्रिक व्हीकल की बिक्री हुई है, जबकि इस अवधि में 17 लाख पारंपरिक यात्री कारों की बिक्री हुई है।
खर्च होंगे 71 हजार करोड़ रुपये- राष्ट्रीय बैटरी पॉलिसी (Nation­al Bat­tery Pol­i­cy) के तहत 10 साल में 71,000 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है। साल 2030 तक 609 GW एनर्जी स्टोरेज की जरूरत का आकलन है। साल 2025 तक 50 GW एनर्जी स्टोरेज क्षमता पैदा करने का लक्ष्य है। बैटरी गीगा फैक्टरीज को इंफ्रास्ट्रकचर इंसेंटिव का प्रस्ताव दिया जाएगा। ​बैटरी पर 20% कैश सब्सिडी का प्रस्ताव है। बैटरी पॉलिसी का कैबिनेट नोट तैयार हो गया है।
अर्थव्यवस्था को मिलेगा फायदा-केंद्र सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने बैटरी निर्माता कंपनियों को इंसेंटिव देने के संबंध में एक प्रस्ताव तैयार किया है। प्रस्ताव के मुताबिक, यदि इलेक्ट्रिक वाहनों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है तो इससे 2030 तक ऑयल इंपोर्ट बिल में 40 बिलियन डॉलर करीब 2.94 लाख करोड़ रुपये की कमी आएगी।
नीति आयोग की ओर से तैयार किए गए प्रस्ताव के मुताबिक, बैटरी निर्माता कंपनियों को यह इंसेंटिव नकद और इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में दिया जा सकता है। यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो अगले वित्त वर्ष में बैटरी निर्माता कंपनियों को 900 करोड़ रुपये का नकद इंसेंटिव देने की योजना है। बाद में हर साल इस इंसेंटिव को बढ़ाया जाएगा।
बैटरी स्टोरेज मांग 230 गीगावाट/घंटा तक पहुंचाने की योजना-प्रस्ताव के ड्राफ्ट के मुताबिक, अभी देश में 50 गीगावाट/घंटा से कम बैटरी स्टोरेज की मांग है। इसकी वैल्यू 2 बिलियन डॉलर के करीब है। अगले 10 सालों में इस मांग को बढ़ाकर 250 गीगावाट/प्रति घंटा करने की है। इससे बाजार का साइज 14 बिलियन डॉलर पर पहुंच जाएगा। हालांकि, प्रस्ताव में इस बात का कोई अनुमान नहीं जताया गया है कि 2030 तक सड़कों पर कितनी इलेक्ट्रिक कारें होंगी?