NOIDAबिसरख गाँव में नहीं मनता है दशहरा न हीं फूंका जाता है दशानन रावण

गौतम बुध नगर के सूरजपुर मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव बिसरख वर्तमान में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में स्थित है।  कभी यह इलाका ग्रेटर नोएडा के शहरी जंगल में से एक था, लेकिन अब बड़ी-बड़ी गगनचुंबी इमारतें बनने के बाद इस क्षेत्र का विकास तेजी से हुआ है। 

बिसरख गाँव के मध्य स्थित इस शिव मंदिर को गॉव वाले रावण का मंदिर कह कर पुकारते है। नोएडा के शासकीय गजट में रावण के पैतृक गाँव बिसरख के साक्ष्य मौजूद नजर आते हैं। गजट के अनुसार बिसरख रावण का पैतृक गाँव है और लंका का सम्राट बनने से पहले रावण का जीवन यहीं गुजरा था। इस गाँव का नाम पहले विश्वेशरा था, जो रावण के पिता विश्वेशरा के नाम पर पड़ा। कालांतर में इसे बिसरख कहा जाने लगा।

गाँव के बुजुर्ग बताते है बिसरख गांव का जिक्र शिवपुराण में भी किया गया है। कहा जाता है कि त्रेता युग में इस गांव में ऋषि विश्रवा का जन्म हुआ था। इसी गांव में उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की थी। उन्हीं के घर रावण का जन्म हुआ था। अब तक इस गांव में 25 शिवलिंग मिल चुके हैं, एक शिवलिंग की गहराई इतनी है कि खुदाई के बाद भी उसका कहीं छोर नहीं मिला है। ये सभी अष्टभुजा के हैं।
बाइट : सुशील कुमार शास्त्री (पुजारी) 
 
गाँव वालो से बातचीत की तो उनका दर्द साफ झलकता दिखाई दिया....गाँववासियों को मलाल है कि रावण को पापी रूप में प्रचारित किया जाता है जबकि वह बहुत तेजस्वी, बुद्विमान, शिवभक्त, प्रकाण्ड पण्डित एवं क्षत्रिय गुणों से युक्त था। जब देशभर में जहाँ दशहरा असत्य पर सत्य की और बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, वहीं रावण के पैतृक गाँव नोएडा जिले के बिसरख में इस दिन उदासी का माहौल रहता है। दशहरे के त्योहार को लेकर यहाँ के लोगों में कोई खास उत्साह नहीं है। बिसरख गाँव में न ही यहाँ रामलीला का मंचन होता है और रावण का पुलता फूंखा जाता हैं। इस गाँव में शिव मंदिर तो है, लेकिन भगवान राम का कोई मंदिर नहीं है।

 
गांव बिसरख में  न रामलीला होती है, न ही रावण दहन किया जाता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। मान्यता यह भी है कि जो यहां कुछ मांगता है, उसकी मुराद पूरी हो जाती है। इसलिए साल भर देश के कोने-कोने से यहां आने-जाने वालों का तांता लगा रहता है। 
पत्रकार विक्रम