केजरीवाल की ईमानदारी के आगे फिर हारे बेईमान TAP NEWS INDIA


नई दिल्ली :हम लोग हमेशा सुनते आए हैं कि सत्यमेव जयते यानि सच्चाई की हमेशा जीत होती है और यही बात एक बार फिर चरितार्थ हुई है।

आपको याद होगा कि भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने साल 2017 में  अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। 

कपिल मिश्रा के अनुसार केजरीवाल और सत्येंद्र जैन के बीच 2 करोड़ नकद का लेनदेन उसकी आँखों के सामने हुआ जिसका कहीं कोई हिसाब नहीं रखा गया था। यह बात मिश्रा ने प्रेसवार्ता करके कही थी और उसके बाद बेहोशी का नाटक भी किया था। साथ ही मिश्रा ने भाजपा नेताओं के समर्थन से इस मामले में CBI जाँच के लिए भी आवेदन किया था।

कपिल मिश्रा के बयान और इस घटनाक्रम के बाद पूरा मीडिया और भाजपा - काँग्रेस के नेता केजरीवाल को भ्रष्ट कहने लगे गए थे और इस्तीफ़े की माँग करने लगे थे। हर रोज़ न्यूज़ चैनल वाले इसको ही दिखाने लगे और उनके शीर्षक ऐसे थे ईमानदारी का गुब्बारा फूटा।

लेकिन पुरानी कहावत है कि साँच को आँच नहीं और इसी को मानते हुए सत्येंद्र जैन ने कपिल मिश्रा के खिलाफ़ मानहानि का केस कर दिया। CBI ने तो बहुत पहले ही कह दिया था कि कपिल मिश्रा ने उन्हें कोई पुख्ता सूबूत नहीं दिए जिनके आधार पर कोई भ्रष्टाचार सिद्ध हो सके।यहाँ तक कि मिश्रा उस तथाकथित नकद लेनदेन की तारीख़ तक CBI को नहीं बता सके।

जनता ने भी केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पर 2020 के चुनाव में अपना विश्वास जताकर देखा दिया कि मिथ्या आरोपों से ईमानदारी को दागदार नहीं किया जा सकता।

अब मानहानि केस में कपिल मिश्रा ने झूठे आरोप लगाने के लिए सत्येंद्र जैन से माफ़ी माँगी है और कोर्ट से केस को बंद करने की मांग की है।

लेकिन यकीन मानिए कि यह खबर आपको अधिकांश न्यूज़ चैनलों पर एक दिन भी दिखाई नहीं देगी। आरोप लगने के बाद जिन चैनलों ने 8 - 10 दिन तक इसको चलाया था वो अब आरोप झूठे साबित होने के बाद इस मुद्दे पर चुप्पी साध लेंगें। 

यही तो हर बार होता है कि खबरों को सनसनीखेज बनाया जाता है चाहे वो झूठ की बुनियाद पर क्यों ना टिकी हों। यही करके मीडिया विपक्षी पार्टियों और नेताओं की छवि खराब करती है ताकि जनता के मन में केवल वैसी छवि बने जो मीडिया चाहती है।

केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के विधायकों पर बार-बार झूठे आरोप लगाए गए और दिल्ली पुलिस द्वारा अनेकों झूठे केस दर्ज किए गए लेकिन न्यायालय में सभी खारिज हो गए और पुलिस को फटकार मिली।

मीडिया नहीं दिखाएगा लेकिन आप सच को अपने मित्रों-रिश्तेदारों के बीच में सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप के जरिए अवश्य फैलाएं ताकि उन्हें भी वो सच्चाई पता लगे जो मीडिया छुपाना चाहता है।