हमारे 38 दधीचि जो देह बदलकर जिंदा हैं;deepak tiwari

जयपुर.जिंदगी के बाद भी जिंदा हैं ये 38 लोग, जिनके अंग किसी और के शरीर में जान डाल चुके हैं। किसी का दिल का दिल बनकर तो किसी का लिवर या किडनी। राजस्थान के इन 38 दधीचियों की याद में राजधानी में टोंक रोड पर मुख्य सचिव आवास के सामने टी-पॉइंट पर अंगदाता स्मारक बनाया गया है।
राष्ट्रीय अंगदान दिवस पर शुक्रवार को दोपहर 12 बजे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्मारक का वर्चुअल लोकार्पण करेंगे। एक खामोशी अनेक मुस्कान, आओ करें अंगदान के का अलख जगाने वाला स्मारक जनमानस को अंगदान की प्रेरणा देगा। स्मारक पर सभी अंगदाताओं की नाम पटि्टकाएं और उनके नाम जिले का नाम लिखा है। अंगदाता परिवारों के त्याग, बीमार जरूरतमंद लोगों को जीवन की जरूरत और अंगदाता के सम्मान के इस पाषाण स्मारक के सीने में दिल धड़कता है।
ऐसे मिलता है ऑर्गन
मरीज को दिल, किडनी, लंग्स की जरूरत पर राजस्थान नेटवर्क फॉर आर्गन शेयरिंग के तहत पंजीकरण कराना होता है। जब भी कैडेबर डोनर आता है, मरीज की स्थिति व वेटिंग के अनुसार रेसिपिएंट को आर्गन ट्रांसप्लांट के लिए अस्पताल बुलाया जाता है। डोनर और रेसिपिएंट का ब्लड ग्रुप या अन्य क्राॅस मैच किया जाता है। हरेक तरह से सही पाए जाने पर रेसिपिएंट को बुलाया जाता है। ब्लड ग्रुप या अन्य क्रास मैच नहीं होने पर अगले रेसिपिएंट को बुलाते हैं।
7 साल का मोहित जब गया...एक अभियान दे गया
अलवर के तिलवाड़ा का 7 साल का बच्चा मोहित राजस्थान का पहला अंगदाता है। 5 फरवरी 2015 को जयपुर के निजी अस्पताल में उसके परिजनों ने बच्चे के अंग दान किए थे।
सांगानेर के वाटिका का 10 साल का राजू लुहार राज्य का पहला कैडेवर (ब्रेन डेथ के कारण मृृत) था। 2 अगस्त 2015 को जयपुर के निजी अस्पताल में उसके अंग लिए गए।