पाक व चीन जैसे देशों की तरह कुछ भारतीय भी किसान की वोट लेकर मोदी को झुकाना चाहते है deep


दीप शंकर मिश्र"दीप"
लखनऊ। काफी दिनों से चल रहे किसानों के आंदोलन व मोदी सरकार के किसान बिल के बारे में किसान नेता वीएम सिंह का मानना है कि कुछ लोग अपनी-अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहे है, और सरकार भी ऐसे ही किसानों को वार्ता के लिये बुलाती है। इस सम्बंध में मेरा मानना तो यह है कि भरत जी के बचे खुचे भारत देश की किसानों की आबादी से 0.01% से भी कम लोग जो तीन अक्षरों के शब्द किसान पर अपनी राजनीति कर रहे है। वह लोग किसान हित में मोदी सरकार के बिल में संशोधन क्यों नही करवाते। मात्र बिल वापसी की बात करना किसान हित की बात करना नही, मोदी व मोदी सरकार को झुकाने की बात करना है।
मेरे विचार से सरकार यदि वीएम सिंह जैसे कुछ विद्वान किसान नेता को बुलाती तो शायद किसान हित कुछ हल निकलता। परन्तु धरना व आंदोलन मात्र मोदी व मोदी सरकार को झुकाने के लिये करना ठीक नही। मोदी देश के वह प्रधानमंत्री है जो अब तक किसी के आगे झुके नही। रही बात किसान बिल की तो इस बिल की किसान नेता व राष्ट्रीय किसान मंच के अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने भी मुझसे इस किसान बिल की तारीफ की थी, वार्ता मण्डल में यह भी नही है। उ०प्र० के गन्ना किसान राजनीति से उभरे वीएम सिंह भी वार्ता मण्डल में नही हैं जो स्पष्ट रूप से कहते है। कुछ लोग अपने राजनीति चमकाने में लगे है वार्ता मण्डल इनका नाम भी नही है। लोगों की माने तो वार्ता मण्डल में वही किसान नेता है जो किसान हित में बिल में संशोधन के समर्थक नही है। जबकि इसका महत्वपूर्ण हल संशोधन ही है। जिसके लिये मोदी सरकार तैयार भी है। बैठकों का दौर भी चल चुका है परन्तु हल नही निकल पाना इसके लिये सरकार दोषी नही हम आप जैसे किसान व किसान के नाम पर जबरन कोई संगठन बनाकर अपनी राजनीति चमकाने वाले नेता भी है। 

संशोधन के ये हो महत्वपूर्ण बिंदु:-

गन्ना किसानों की बिक्री के मात्र पन्द्रह दिन के अन्दर गन्ने का भुगतान शुगर फैक्ट्रियों द्वारा होना चाहिए । 
गन्ना किसानों का शोषण कर रहे बड़े ब्वायलर क्रेशर जो पांच हजार से लेकर दस हजार कुंटल तक गन्ने की पेराई करते है वह भी सरकार द्वारा निर्धारित गन्ना मूल्य पर ही गन्ना खरीदेंगे औऱ फैक्ट्रियों में काम कर रहे लोगों मनरेगा मजदूरों से कम भुगतान नही करेंगे।
यही चीज धान गेहूँ इत्यादि पर भी लागू करवाने के लिये बिल में संशोधन जरूरी हो सकता है। परन्तु मोदी जैसे प्रधानमंत्री जिन्हें पाकिस्तान व चीन झुकाना चाहता हो ऐसे प्रधानमंत्री को झुकने के लिये किसानों की आड़ में अपनी राजनीति करना या राजनीति चमकाना देश ही नही भारत के किसानों के साथ बेईमानी है।
  दीप शंकर मिश्र दीप