श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी 21000 तय करे सरकार -रामजी पांडे


 उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में श्रमिक विकास संगठन एसवीएस द्वारा चलाए जा रहे  सदस्यता अभियान के अध्यक्ष और श्रमिक  नेेता रामजी  पांडे ने कहा की श्रमिक हमेशा से ही देश के विकास में अहम भूमिका निभाता रहा है और किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में काम करने वाले श्रमिक संगठन की रीड की हड्डी   होते हैं इसीलिए  श्रमिकों के बिना किसी भी औद्योगिक ढांचे के खड़े होने की कल्पना नहीं की जा सकती। श्रमिकों का समाज में अपना ही एक स्थान है। लेकिन आज भी देश में मजदूरों के साथ अन्याय और उनका शोषण होता है। आज भारत देश में बेशक मजदूरों के 8 घंटे काम करने का संबंधित कानून लागू हो लेकिन इसका पालन सिर्फ सरकारी कार्यालय ही करते हैं, बल्कि देश में अधिकतर प्राइवेट कंपनियां या फैक्टरियां अब भी अपने यहाँ काम करने वालों से 12 घंटे तक काम कराते हैं। जो कि एक प्रकार से मजदूरों का शोषण है। आज जरूरत है कि सरकार को इस दिशा में एक प्रभावी कानून बनाना चाहिए और उसका सख्ती से पालन कराना चाहिए। भारत में मजदूरों की मजदूरी के बारे में बात की जाए तो यह भी एक बहुत बड़ी समस्या है, आज भी देश में कम मजदूरी पर मजदूरों से काम कराया जाता है। यह भी मजदूरों का एक प्रकार से शोषण है। आज भी मजदूरों से फैक्ट्रियों या प्राइवेट कंपनियों द्वारा पूरा काम लिया जाता है लेकिन उन्हें मजदूरी के नाम पर बहुत कम मजदूरी पकड़ा दी जाती है। जिससे मजदूरों को अपने परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो जाता है। पैसों के अभाव से मजदूर के बच्चों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है। भारत में अशिक्षा का एक कारण मजदूरों को कम मजदूरी दिया जाना भी है बेशक इसको लेकर देश में विभिन्न राज्य सरकारों ने न्यूनतम मजदूरी के नियम लागू किये हैं, लेकिन इन नियमों का खुलेआम उल्लंघन होता है और इस दिशा में सरकारों द्वारा भी कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता और न ही कोई कार्यवाही की जाती है। आज जरूरत है कि इस महंगाई के समय में सरकारों को प्राइवेट कंपनियों, फैक्ट्रियों और अन्य रोजगार देने वाले माध्यमों के लिए एक कानून बनाना चाहिए जिसमें मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी 21000 तय की जानी चाहिए।  जिससे श्रमिकों के परिवार को भूखा न रहना पड़े और न ही मजदूरों के बच्चों को शिक्षा से वंचित रहना पड़े।