भगवान का असली शत्रु अहंकार - आचार्य परमानंद

गोविन्द राणा बदायूं -    बिल्सी क्षेत्र के ग्राम रिसौली में भागवत कथा के चौथे दिवस में आचार्य परमानंद महाराज ने भगवान प्राप्ति के मार्गों पर आने वाली बाधाओं को विस्तार से समझाते हुए कहा कि जीवन में जिनको अहंकार होता है वही भगवान के सबसे बड़े शत्रु होते हैं अहंकार को नष्ट करने के लिए ईश्वर ने नर रूप में जन्म लिया और दुष्ट शक्तियों का नाश कर आम जनमानस के लिए शांति और सुख का मार्ग दिखाया भगवान का नाम प्रतिदिन लेना चाहिए, जो लोग धामिँक कामो क कल पर टाल देते है बह कल कभी आता ही नही ,यह उदगार रिसौली मे चल रही भागवत कथा के चौथे दिन कथा आचाँय परमानंद महाराज जी ने व्यक्त किये,उन्होने कहा कि मनुष्य को कभी अहंकार नही करना चाहिए, क्योकि परमात्मा का सबसे बडा शत्रु अहंकार ही है, इस जीवन का  भरोसा नही इसलिये कोई भी धमँ का कायँ कल पर नही छोडना चाहिएः क्योकि कल कभी आता ही नही है,यह बात रावण ने युद्घ भूमि मे मरते समय राम से कहा कि मैने कई जरूरी काम कल पर टाल दिये मगर आज तक कल नही आया, कथा में महेशसिहं,योगेन्द्रपालसिहं दुष्यतशमाँ, के०जी,शमाँ गोपालसिसौदिया, आकाशदीप हरपाल माथुर,कौशलसिहं शिवओमसिहं उदयराजसिहं अरूणसिहं राजेन्द्रसिहं दामोदर पाल अतुलसिहं महिपाल कश्यप सहित भारी संख्या मे महिलाए मौजूद थे