जंगल में लकड़ी-गोबर बीनने गई यशोदा को रोते हुए मिली नवजात

 deepak tiwari 
सीपत.सीपत थाना क्षेत्र के ग्राम कुकदा और कुली के बीच जंगल मे कुछ महिलाओं के साथ कुकदा की यशोदा बाई हर दिन की तरह शनिवार की सुबह लकड़ी-गोबर बीनने गई थी। इसी बीच उसे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। उनके बिना देर किए आवाज की दिशा में बढ़ना शुरू किया तो देखा कि जंगल के बीच खेत की मेढ़ में एक नवजात बच्ची बिलख बिलखकर रो रही है। उसने अपने साथ आईं महिलाओं की मदद से उस बच्ची की जिंदगी बचा ली।
पुलिस 112 की मदद से बच्ची चाइल्ड लाइन को सौंप दी गई। सीपत क्षेत्र में एक बार फिर शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। किसी निर्मोही मां ने अपने जिगर के टुकड़े नवजात को जंगल के बीच खेत की मेढ़ में छोड़ दिया। शुक्र है कि भगवान ने उसके पास मदद के लिए मां को भेज दिया। सीपत थाना क्षेत्र के ग्राम कुकदा और कुली के बीच जंगल मे कुछ महिलाओं के साथ कुकदा की यशोदा बाई पति बहोरिकराम कुर्रे 50 वर्ष लकड़ी-गोबर बीनने गई थी।
उसने बताया कि उसे अचानक से बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी तो उसी दिशा में आगे बढ़कर देखने चली गई। देखा कि खेत की मेढ़ में एक नवजात जो बच्ची बिलख-बिलखकर रो रही थी। यशोदा बाई अन्य महिलाओं की मदद से उस बच्ची को लेकर गांव के सरपंच के पास पहुंची।
सरपंच ने पुलिस 112 को कॉल किया और घटना की जानकारी दी। नवजात बच्ची को 112 के माध्यम से सीपत स्थित शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाए। यहां बच्ची के स्वास्थ्य का परीक्षण किया गया। स्वस्थ होने पर बिलासपुर चाइल्ड केयर के स्टॉफ को सीपत थाना बुलाकर नवजात उन्हें सौंप दिया गया।
फिर मिला नवजात
डेढ़ माह पहले 2 जनवरी को सीपत थाना क्षेत्र के ग्राम उच्चभट्ठी में भी इसी तरह का मामला सामने आया था। किसी ने पटवारी पुल में एक नवजात को झोले में बंद कर छोड़ दिया था। उसे उच्चभट्ठी के सरपंच नारायण साहू ने एनजीओ के माध्यम से बिलासपुर के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया था।