राजभाषा विभाग (गृह मंत्रालय) ने हैदराबाद में क्षेत्रीय राजभाषा सम्‍मेलन एवं पुरस्‍कार वितरण समारोह का आयोजन किया

हैदराबाद:राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राजभाषा विभाग की संयुक्त सचिव डॉ. मीनाक्षी जौली की अध्‍यक्षता में आज हैदराबाद दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों में स्थित केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों इत्‍यादि के लिए संयुक्‍त क्षेत्रीय राजभाषा सम्मेलन एवं पुरस्‍कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में मुख्‍य अतिथि के रूप में विशिष्ट वैज्ञानिक व अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, परमाणु ऊर्जा विभाग डॉ. दिनेश श्रीवास्तव तथा विशिष्‍ट अतिथि के रूप में सीएसआईआर-राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के निदेशक एवं नराकास अध्यक्ष डॉ. वी.एम. तिवारी सहित दक्षिण एवं दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र के विभिन्‍न कार्यालयों के वरिष्‍ठअधिकारीगण उपस्थित रहे।  

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव डॉ. मीनाक्षी जौली ने कहा कि विकास की किसी भी योजना और उसके संबंध में भारत सरकार की नीति को सही रूप में पेश करने के लिए यह आवश्‍यक है कि ये बातें जनता तक जनता की भाषा में पहुंचें । उनका कहना था कि सरकार की कल्‍याणकारी योजनाएं तभी प्रभावी होती हैं जब जनता और सरकार के बीच निरंतर संवाद, संपर्क और पारदर्शिता बनी रहे और सरकार की योजनाओं का लाभ देश के सभी नागरिकों को समान रूप से मिले ।

डॉ. मीनाक्षी ने कहा कि इसके हमारे पास हिंदी के रूप में एक ऐसी भाषा है जो सरल एवं सहज होने के साथ-साथ वैज्ञानिक एवं व्‍याकरण की दृष्‍टि से भी उत्‍कृष्‍ट है । अपनी उदारता, सहजता, व्‍यापकता एवं मधुरता जैसे गुणों की वजह से तथा देश की अन्‍य भाषाओं एवं बोलियों से सामंजस्‍य बनाए रखकर सांस्‍कृतिक संवाहक होने की अपनी क्षमता के कारण हिंदी देश की प्रमुख संपर्क भाषा है । डॉ. जौली ने कहा कि समृद्ध साहित्यिक धरोहर, विज्ञापनों में हिंदी का बढ़ता प्रयोग, लोकप्रिय हिंदी सिनेमा, संपर्क भाषा के रूप में हिंदी का बढ़ता दायरा एवं सरकारी कार्यालयों में हिंदी का बढ़ता प्रयोग इस बात का प्रमाण है कि हिंदी एक सशक्त, समृद्ध एवं लोकप्रिय भाषा हैI उनका कहना था कि वैश्‍वीकरण और उदारीकरण के वर्तमान प्रतिस्‍पर्धात्‍मक माहौल में तो हिंदी अब कारोबारी जगत की व्‍यावसायिक आवश्‍यकता बन गई है।

कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि विशिष्ट वैज्ञानिक व अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी, परमाणु ऊर्जा विभाग डॉ. दिनेश श्रीवास्तव ने कहा कि निज भाषा का सम्मान आवश्यक है, हमारी भाषाएँ हमारी धरोहर हैं और इनका संरक्षण जरूरी है l

उनका कहना था कि राजभाषा नीति के कार्यान्वयन का मुख्य आधार प्रेरणा और प्रोत्साहन है और हमें पूरी निष्ठा के साथ इस संवैधानिक दायित्व की पूर्ति करनी चाहिए l

इस मौके पर सीएसआईआर-राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के निदेशक डॉ. वी.एम. तिवारी ने कहा कि हिंदी आज सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है जिसकी उत्पत्ति दुनिया की सबसे समृद्ध भाषा संस्कृत से हुई l राजभाषा के रूप में इसे आगे बढ़ाने का प्रयास करते रहना है जिससे आने वाली पीढ़ी ज्ञान, विज्ञान और साहित्य सृजन कर सके l

कार्यक्रम में बोलते हुए राजभाषा विभाग के निदेशक श्री बी. एल. मीना ने कहा कि पूरे देश में स्थित केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों एवं कार्यालयों आदि में राजभाषा संबंधी प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने तथा सरकारी काम-काज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने में राजभाषा विभाग अहम भूमिका निभाता है । राजभाषा सबंधी संवैधानिक प्रावधानों का अनुपालन करने एवं सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा विभाग सतत प्रयासरत है । उनका कहना था कि हिंदी के प्रगामी प्रयोग को बढ़ावा देने हेतु आधुनिक तकनीक की अहम भूमिका है।  राजभाषा विभाग द्वारा हिंदी में सहजता से कार्य करने के लिए अनेक प्रभावी साधन मुहैया कराए गए हैं। सरकारी कामकाज में हिंदी का प्रयोग आसान बनाने के उद्देश्य से राजभाषा विभाग ने अन्य ई-टूल्स एवं एप्लिकेशन्स के अलावा ‘ई महाशब्दकोश मोबाइल ऐप’ और ‘ई-सरल हिंदी वाक्य कोश’ तैयार किए हैं I उनका कहना था कि राजभाषा विभाग ने अनुवाद में सहायता के लिए स्मृति आधारित अनुवाद साफ्टवेयर ‘कंठस्थ,’ सी-डैक पुणे की सहायता से विकसित किया है जिसका प्रयोग करके सरकारी कामकाज में हिंदी को बढ़ावा दिया जा सकता है I श्री मीना ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी के “आत्मनिर्भर भारत- स्थानीय के लिए मुखर हों” के आह्वान से प्रेरित होकर राजभाषा विभाग स्वदेशी स्मृति आधारित अनुवाद टूल “कंठस्थ” को और अधिक लोकप्रिय बनाने और विभिन्न संगठनों में इसका विस्तार करने के सभी प्रयास कर रहा है।

श्री बीएल मीना ने बताया कि केंद्र सरकार के कार्यालयों में राजभाषा हिंदी के कार्यान्वयन पर नजर रखने के लिए देश के विभिन्न नगरों में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समितियों का गठन किया गया है और इस समय पूरे देश में इन समितियों की कुल संख्या 524 है। समारोह में श्री के पी शर्मा व श्री हरीश चौहान द्वारा दक्षिण तथा दक्षिण - पश्चिम क्षेत्रीय कार्यालयों की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई ।