23 मई को नई दिल्ली लोकसभा के पटेल नगर में होगी रोजगार संसद


नई दिल्ली : देश भर में फैली बेरोजगारी के खिलाफ संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति (SRAS) 23 मई को नई दिल्ली लोकसभा के पटेल नगर के लाल मंदिर में एक "रोजगार संसद" का आयोजन करने जा रही है जिसमे SRAS द्वारा ज्यादा से ज्यादा लोगों के पहुंचने का आव्हान किया गया है। मिली जानकारी के अनुसार पिछले दिनों
23 और 24 मार्च 2022 को नई दिल्ली के शाह ऑडिटोरियम में एक राष्ट्रीय रोजगार सम्मेलन आयोजित किया गया था जिसमें बनी संयुक्त रोजगार आयोजन समिति (SRAS) ने यह निर्णय लिया था  कि 7 मई से 27 जून तक तक दिल्ली के अलग अलग जिलों में रोजगार संसद का आयोजन किया जाएगा और 1 जुलाई से 31 जुलाई तक  पूरी दिल्ली के सभी लोकसभा में रोजगार यात्रा निकलेगी ।इसके अलावा 16 अगस्त से दिल्ली में  बेरोजगारी के खिलाफ राष्ट्रीय रोजगार आन्दोलन सुरु किया जाएगा।  राष्ट्रीय रोजगार सम्मलेन में आये  संगठनो को जब यह महसूस हुआ कि बेरोजगारी के समाधान के लिए राष्ट्रीय रोजगार नीति बनाना वक्त की मांग है। तो सभी संगठनों ने एक बैनर तले आंदोलन करने का निर्णय लिया  और इसी कड़ी में
देश की बात फाउंडेशन के आह्वाहन पर संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति (SRAS) के बैनर तले 23 मई सोमवार, शाम 4 बजे, लाल मंदिर, भाई जोगा सिंह स्कूल के पास, पूर्वी पटेल नगर में एक" रोजगार संसद" का आयोजन किया जा रहा है। जिसमे दिल्ली के प्रमुख छात्र संगठन, युवा संगठन, महिला संगठन, शिक्षक संगठन, ट्रेड यूनियन, किसान यूनियन, NGO's आदि संगठनों के सदस्य भाग लेंगे।  
बताते चले कि आज देश बेरोजगारी के भयावह संकट से जूझ रहा है । बड़ी- बड़ी डिग्रियां लेकर भी युवा आज काम के लिए दर -दर भटक रहे हैं। रोजगार का नया सृजन करना तो दूर देशभर में लाखों खाली पड़ी सरकारी वेकैंसी पर भी भर्ती नहीं की जा रही है, इसके उलट भर्ती की जगह युवाओंको लाठियां मिल रही है अभी हाल ही मे पुरे देश ने देखा की किस तरह रेलवे RRB-NTPC की भर्ती को लेकर छात्रों के उपर बर्बर दमन किया गया I जहाँ भर्ती हो भी रही है, ठेकेदारी व्यवस्था के तहत हो रही है, जहाँ मिनिमम वेज इतना कम है की जिससे काम करने के बावजूद भी लोगो को सम्मानपूर्वक जीवन जीना मुश्किल हो रहा है, प्राइवेट सेक्टर मे भी रोजगार के नए अवसर पैदा होने की जगह छटनी की तलवार लोगों के सर मंडरा रही है I वहीं हम देख रहे है की देश के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून बनवाने के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं I जहाँ तक देश की आधी आबादी महिलाओं का प्रश्न है उनकी आर्थिक मजबूती के लिए सरकार के पास कोई कार्ययोजना नही है I 
बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए भारत में आजादी के बाद जिस तरह की नीतियां बनाने की जरूरत थी, हमारी अब तक की सरकारों ने वैसी नीतियां नही बनाई। यही वजय है कि आजादी के सात दशक से ज्यादा वक्त गुजर जाने के बाद भी हमारे देश में राष्ट्रीय रोजगार नीति नहीं बन पाई है I पहले से ही बेरोजगारी की मार झेल रही हमारी अर्थव्यवस्था को कोरोना ने औरअधिक चिंताजनक स्तिथि मे पहुचां दिया I