विद्वत प्रकाशन का व्यावहारिक प्रशिक्षण” पर राष्ट्रीय कार्यशाला का दूसरा दिन

रामजी पांडे

नई दिल्ली :सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-निस्पर), नई दिल्ली का अनुसंधान पत्रिका प्रभाग, “हैंड्स-ऑन स्कॉलरली पब्लीकेशंस” (विद्वत प्रकाशन का व्यावहारिक प्रशिक्षण) पर एक सप्ताह तक चलने वाली राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। यह कार्यशाला 12 मई से 18 मई, 2022 तक चलेगी और इसे एक्सीलेरेट विज्ञान कार्यशाला योजना के तहत केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) से सम्बद्ध विज्ञान और इंजीनियरी अनुसंधान बोर्ड प्रायोजित कर रहा है। रक्षा वैज्ञानिक सूचना एवं प्रलेखन केंद्र (डेसीडॉक), नई दिल्ली के निदेशक डॉ. केएन राव ने 12 मई, 2022 को इसका उद्घाटन किया था। उद्घाटन के बाद रिसर्च जर्नल्स (बायोलॉजिकल साइंस) के मुख्य वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष श्री आरएस जयासोमू ने अनुसंधान संचार पर पहले सत्र का संचालन किया। इस सत्र में दो व्याख्यान हुयेः (1) स्कॉलरली कम्यूनिकेशनः बेसिक्स ऑफ राइटिंग रिसर्च पेपर्स; और (2) सेलेक्टिंग ए जर्नल टू पब्लिश यूअर रिसर्च वर्क। इसके बाद अनुसंधान पांडुलिपियों के आरंभिक संपादन का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा यूजीसी-केयर द्वारा प्रदत्त मान्यता सूची के आधार पर मान्य पत्रिकाओं की पहचान करने का भी प्रशिक्षण दिया गया।

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“हैंड्स-ऑन स्कॉलरली पब्लीकेशंस” पर कार्यशाला के दूसरे दिन, यानी, 13 मई, 2022 को वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एनके प्रसन्ना ने सबका गर्मजोशी से स्वागत किया। इसके बाद “एथिक्स इन रीसर्च एंड पब्लीकेशंस” पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित प्रोफेसर तथा एसईआरबी के विशिष्ट फैलो प्रो. एससी लाखोटिया ने व्याख्यान दिया। वे इस विषय में महारथ रखते हैं। उन्होंने “अनुसंधान” की परिभाषा देते हुये कहा कि यह मुख्य रूप से सत्य की खोज है। अनुसंधानकर्ता जिस नतीजे पर पहुंचता है, उसे अन्य लोगों के साथ साझा करता है, ताकि ज्ञान का सामान्य आधार तैयार हो सके। इससे समाज को मदद मिलती है और सबका कल्याण होता है। प्रो. लाखोटिया ने स्पष्ट किया कि नैतिक संचार दरअसल दूसरों के मूल्यों, निजता, गोपनीयता और विचारों को बेहतर तरीके से समझने का नाम है। उन्होंने कहा कि ईमानदारी और सत्यनिष्ठा, नैतिक संचार के दो बुनियादी तत्‍व हैं। नैतिक संचार सुनिश्चित करता है कि लोगों को सही सूचना मिले। यह सूचना लोगों तक समय पर पहुंचे और अनुसंधान पत्र-पत्रिकाओं तथा अन्य विद्वत ग्रंथों के लिये मंच का काम करे।