संत कबीरदास का विजन भारतीय संस्कृति को समझने की कुंजी: श्री अर्जुन राम मेघवाल


नई दिल्ली:गलियों में प्रदर्शन करने वाले, रेलगाड़ियो में मनोरंजन करने वाले, मंदिरों से जुड़े कलाकारों आदि सहित देश भर के दुर्लभ संगीत वाद्ययंत्रों की प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए एक अनूठा उत्सव ज्योतिर्गमय का आज नई दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में समापन हुआ।

केन्‍द्रीय संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी, केन्‍द्रीय संस्कृति और संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल और संस्कृति मंत्रालय में सचिव श्री गोविंद मोहन भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image0019S1W.jpg

इस अवसर पर संस्कृति राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कबीर गायन की विशेष प्रस्तुति दी। श्री मेघवाल ने कबीर परंपरा के महत्व की व्‍याख्‍या करते हुए बताया कि हमें भारतीय संस्कृति को समझने के लिए संत कबीरदासजी के दृष्टिकोण को समझने की आवश्‍यकता है।

श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने अपने संबोधन में कहा कि यह युवाओं का उत्तरदायित्‍व है कि वे हमारे समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास को आगे ले जाएं। उन्होंने कहा कि त्योहार के दौरान बजाए जाने वाले दुर्लभ वाद्ययंत्रों ने लोगों को ऐसे समय में आवाज प्रदान की, जब समाज को शब्दों द्वारा समझाया जाना विफल रहा।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002K6Q3.jpg

श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने ब्रह्म वीणा के वरिष्ठतम कलाकार श्री आनंद बाग का अभिनंदन किया। इसके बाद विभिन्न दुर्लभ संगीत वाद्ययंत्रों पर कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी गईं। संगीत नाटक अकादमी के सचिव ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त की।