दुनिया हमेशा सफल व्यक्ति को नहीं बल्कि बड़े व्यक्तियों को याद रखती है और बड़ा वो बनता है जो अपने लिए परिश्रम ना करे बल्कि दूसरों के लिए करे

 गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज चंडीगढ़ के मौलीजागरां में विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास किया। इस अवसर पर पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक श्री बनवारीलाल पुरोहित और केन्द्रीय गृह सचिव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

 

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केन्द्रीय गृह मंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों को भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का उदाहरण देते हुए कहा कि किस प्रकार वे कई कठिनाईयों के बावजूद अपने जीवन में लोगों की सेवा का संकल्प करके, देश के विकास के लक्ष्य को मन में रखकर सतत परिश्रम करती रहीं और आज दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के संविधान की संरक्षक बनकर राष्ट्रपति पद पर हैं। श्री शाह ने बच्चों से कहा कि हमारा संविधान सबको ये मौक़ा देता है और आप भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बन सकते हो। उन्होंने बच्चों से कहा कि आप सभी भाग्यवान हो कि आपकी शिक्षा-दीक्षा अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत होने वाली है। इस नीति को बहुत बारीकी से बनाया गया है और मोदी जी द्वारा लाई गई ये नीति रटे-रटाए कोर्स के बग़ैर बच्चे को सर्वज्ञ बनाना, उसके व्यक्तित्व, मानसिक क्षमता का विकास करना, विश्वभर में उसके सामने उपलब्ध संभावनाओं को समझाकर उसे स्वयं अपना रास्ता चुनने लायक़ बनाने वाली है।

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श्री अमित शाह ने संस्कृत का एक श्लोक उद्धत करते हुए बच्चों से कहा कि आप किसी भी क्षेत्र में जाइए परिश्रम की पराकाष्ठा का कोई विकल्प नहीं है। अगर सफल व्यक्ति बनना है तो परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है। जो नित्य परिश्रम का संकल्प करेगा उसे कभी कोई पराजित नहीं कर सकता। दुनिया हमेशा सफल व्यक्ति को नहीं बल्कि बड़े व्यक्तियों को याद रखती है और बड़ा वो बनता है जो अपने लिए परिश्रम ना करे, बल्कि दूसरों के लिए करे। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि जो ‘स्व’ से ऊपर उठ कर ‘पर’ यानी दूसरों का विचार करना शुरू कर दे वही ज्ञानी होता है। सफल व्यक्ति बनने का मूल मंत्र परिश्रम है और बड़ा व्यक्ति बनने का मूल मंत्र दूसरों के बारे में सोचना है। महाराजा रंजीत सिंह जी हों, गुरू गोविंद सिंह जी हों, महात्मा गांधी हों, शिवाजी महाराज हों या महाराणा प्रताप हों, इन सबका नाम सैकड़ों सालों के बाद आज भी सम्मान से लिया जाता है। इन सब महान लोगों ने अपना जीवन ख़ुद के लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए जिया था। सफल व्यक्ति बनने के साथ-साथ बड़ा व्यक्ति बनने का भी लक्ष्य रखना चाहिए।