श्रमिकों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं बल्कि हमारे पर्यावरण के लिए भी एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं: श्री भगवंत खुबा

रामजी पांडे

नई दिल्ली केंद्रीय रसायन और उर्वरक व स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज नई दिल्ली में "कार्यस्थल पर रसायनों के सुरक्षित उपयोग" विषयवस्तु पर आयोजित एक संगोष्ठी की अध्यक्षता की। वहीं, रसायन और उर्वरक व नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा ने इस कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। इस संगोष्ठी का आयोजन रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विभाग (डीसीपीसी) और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने किया। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय रासायनिक सुरक्षा कार्ड (आईसीएससी) को अपनाने के लिए केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया की उपस्थिति में डीसीपीसी और आईएलओ के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।

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डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि श्रमिकों की सुरक्षा और मानवीय व्यवहार भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। हमने अपने नागरिकों के विकास और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए विश्व के सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों को व्यापक तौर पर स्वीकार किया है। उन्होंने आगे कहा, “रासायनिक उद्योग, वृद्धिशील भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण और अभिन्न अंग है। यह हमारी आधारभूत व विकासात्मक जरूरतों को पूरा करने और हमारे दैनिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।"

 

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उन्होंने आगे रेखांकित किया कि आम तौर पर उचित सुरक्षा उपायों की कमी के कारण रसायनों से संबंधित विनाशकारी दुर्घटनाएं हो सकती हैं। डॉ. मांडविया ने कहा कि यह वैश्विक सुरक्षा मानकों और अभ्यासों के अनुपालन का आह्वाहन करता है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि आईएलओ की ओर से विकसित अंतरराष्ट्रीय मानकों को भारत की ओर से अपनाया जाए, क्योंकि यह न केवल औद्योगिक दुर्घटनाओं को कम करेगा, बल्कि वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यासों के साथ आगे बढ़ना सुनिश्चित करेगा।" उन्होंने सभी हितधारकों से यह सुनिश्चित करने का आह्वाहन किया कि न केवल इन आईसीएससी, बल्कि सुरक्षा नियमों की जानकारी भी श्रमिकों को पर्याप्त रूप से दी जाए। मंत्री ने कहा, “भंडारण और प्रसंस्करण के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों का अनुपालन करके, सबसे सुरक्षित व कुशल प्रक्रियाओं को लागू करके, मजबूत तकनीकों को स्थापित करके उद्योग की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। यह प्रशिक्षण सत्रों के माध्यम से जागरूकता फैलाने और श्रमिकों के बीच क्षमता निर्माण करके सुनिश्चित किया जा सकता है।”

डॉ. मांडविया ने सरकारी अधिकारियों, विशेषज्ञों और उद्योग जगत की हस्तियों सहित विभिन्न हितधारकों से विचार-मंथन सत्र में शामिल होने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के हितधारक परामर्श से अभिनव विचार सामने आएंगे, जिनका उपयोग भविष्य के कानूनों और पहलों के आधार के रूप में किया जा सकता है।

वहीं, रसायन और उर्वरक व नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा ने कहा कि रासायनिक क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर भारत का कद बढ़ा है और इस प्रकार यह एक आवश्यकता बन गई है कि हम इस क्षेत्र को न केवल उत्पादन के आधार पर बल्कि सुरक्षा के पहलुओं से भी देखें। उन्होंने कहा कि औद्योगिक श्रमिकों को निचले स्तर से लेकर प्रबंधकीय स्तर तक कार्यस्थल पर संभावित खतरों से अवगत कराया जाना चाहिए और उन्हें किसी भी आपात स्थिति में उनसे निपटने के लिए पर्याप्त जानकारी से युक्त होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण सत्र और सुरक्षा मॉक ड्रिल न केवल श्रमिकों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि हमारे पर्यावरण के लिए भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा उन्होंने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया और इस आवश्यकता को रेखांकित किया कि सभी हितधारकों को एक साथ सीखना और आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि केवल यह सुनिश्चित कर सकता है कि हमारे उद्योग बिना किसी नुकसान और खतरे के किसी की जान गंवाए बिना काम करें। उन्हें उम्मीद व्यक्त की कि डीसीपीसी और आईएलओ के बीच यह समझौता ज्ञापन देश में सुरक्षा नियमों को लागू करने के हमारे प्रयासों को और आगे बढ़ाएगा।