लखीमपुर: उफनाई घाघरा और शारदा नदियों ने मचाई तबाही, प्रशासनिक मशीनरी सतर्क

लखीमपुर खीरी के धौरहरा तहसील क्षेत्र में बाढ़ की विभीषिका ने एक बार फिर से अपना कहर बरपाया है। पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में हुई मूसलाधार बारिश के बाद घाघरा और शारदा नदियां उफान पर हैं, जिससे दर्जनों गांव जलमग्न हो गए हैं। स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए प्रभावित गांवों का दौरा किया और पीड़ितों को राहत पहुंचाने के निर्देश दिए हैं।

एसडीएम ने किया कटान क्षेत्र का दौरा
धौरहरा खीरी के उपजिलाधिकारी राजेश कुमार ने तहसीलदार आदित्य विशाल और नायब तहसीलदार शशांक शेखर मिश्रा के साथ मिलकर कटान क्षेत्र का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने बाढ़ प्रभावित गांवों का जायजा लिया और ग्रामीणों से बातचीत की। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि उन्हें हर संभव मदद दी जाएगी। एसडीएम ने संबंधित अधिकारियों को लंच पैकेट वितरित करवाने के निर्देश भी दिए ताकि प्रभावित लोग भूख से परेशान न हों।

जलमग्न गांवों की स्थिति
ईसानगर ब्लाक के कैरातीपुरवा के गांव बंशी बेली, पौंड पुरवा, शीतला पुरवा, लोधपुरवा, भंडारी पुरवा, मझरी आदि गांवों में स्थिति अत्यंत गंभीर है। यहां तक कि ओझापुरवा, मांझासुमाली, गनापुर, डुण्डकी, चकदहा, अचरौरा जैसे गांवों के मजरों में भी उफनाई नदी का पानी भर गया है। बनबसा बैराज से छोड़े गए पानी ने बाढ़ की स्थिति को और विकराल बना दिया है। रविवार देर रात से ही इन गांवों में पानी भरना शुरू हो गया, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

कटान रोधी कार्य भी हुआ प्रभावित
प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी घाघरा और शारदा नदियों ने कटान कर तबाही मचाई है। बाढ़ खण्ड द्वारा कराए गए कटान रोधी कार्य भी इस बार करीब तीस मीटर बह गया है। ग्रामीणों की जानकारी पर एसडीएम राजेश कुमार ने मौके पर पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया और बाढ़ खण्ड को निर्देश दिए कि बहे हुए कटान रोधी कार्य को ठीक किया जाए।

प्रशासन की त्वरित कार्यवाही
प्रशासनिक मशीनरी ने त्वरित कार्यवाही करते हुए प्रभावित क्षेत्रों में जाकर हालात का निरीक्षण किया और बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। तहसील प्रशासन का यह कदम सराहनीय है, जिससे लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है। अधिकारियों की तत्परता और संवेदनशीलता से प्रभावित ग्रामीणों में थोड़ी बहुत राहत की सांस महसूस की जा रही है।

इस पर युवा नेता रामजी पांडे का कहना है कि धौरहरा  के बाढ़ प्रभावित गांवों में प्रशासन की सक्रियता और तत्परता से इस मुश्किल घड़ी में लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है। ऐसे समय में प्रशासनिक सहयोग और समर्पण ही लोगों के लिए संजीवनी का काम कर सकता है।