कर्म प्रधान विश्व रचि राखा जो जैसा करे सो तस फल चाखा पूनम चतुर्वेदी

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा


यह संसार कर्म प्रधान है यहाँ निरन्तर कर्म करते रहना पड़ता है, बिना कर्म किये यहाँ कुछ भी नहीं प्राप्त किया जा सकता है। इस संसार में बहुत से लोग सुखद भविष्य की प्रतीक्षा में अपना समय बैठे-बैठे नष्ट करते रहते हैं। परंतु यह सत्य है कि भविष्य का आविष्कार नहीं होता जो हम करते हैं वही हमारे भविष्य में परिवर्तित हो जाता है। अगर आप अपनी जिंदगी में कुछ अच्छा करोगे तो आपकी जिंदगी में अच्छा होगा अगर आप कुछ बुरा करोगे तो आपकी जिंदगी में बुरा ही होगा। बहुत सारे ऐसे लोग है जो आज जिंदगी में सफल है और उसके पीछे सफलता का कारण हैं कि उन्होंने जिंदगी में सफलता पाने के लिए कर्म किया है। जो लोग असफल हैं उन्होंने कहीं ना कहीं कर्म ना करने के लिए बहानों का सहारा लिया है। ऐसे लोग जिंदगी में सफल है आप किसी भी मनुष्य को देख लीजिए किसी भी सफल व्यक्ति से पूछ लीजिए कर्म से ही भविष्य का आविष्कार होता है कर्म से ही एक मनुष्य की पहचान होती है। अगर आप भी कुछ अच्छा कर्म करोगे तो आपकी भी एक नई पहचान बन सकती है। अगर आप हाथ पर हाथ रखे बैठे रहोगे तो आप जिंदगी में कुछ भी खास नहीं कर सकोगे क्योंकि आपको जिंदगी में कुछ भी पहचान बनानी है तो कर्म ही सबसे महत्वपूर्ण है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी मानस के माध्यम से बताया है----- "करम प्रधान विश्व रचि राखा।
जो जस करइ सो तस फल चाखा।।" जो जैसा कर्म करेगा उसको उन्हीं कर्मों के अनुसार फल भी भोगना पड़ेगा , यही संसार का विधान है।

हमारा पूनम चतुर्वेदी  का मानना है कि आज मनुष्य ने बहुत विकास कर लिया है परंतु कर्म की प्रधानता अपने स्थान पर अडिग है। यदि कुछ भी प्राप्त करने की कामना है आपको कर्म तो करना ही पड़ेगा,अगर आप एक डॉक्टर के रूप में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं तो डॉक्टरी सीखने के लिए आपको कर्म करना पड़ेगा। अगर आप एक सफल अध्यापक बनना चाहते हैं तो आपको उसके लिए भी कर्म करना पड़ेगा मेहनत करना पड़ेगी। अगर आप एक सफल राजनेता बनना चाहते हैं तो भी आपको कर्म करने की जरूरत पड़ेगी यदि आप अध्यात्म के क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो आपको साधनारूपी कर्म करना पड़ेगा। अगर आप कुछ भी छोटा या बड़ा पाना चाहते हैं तो आपको कर्म तो करना ही पड़ेगा बिना कर्म के आप कुछ भी नहीं पा सकते। जब आप अच्छे कर्म करते हो मेहनत करते हो तो आपकी पहचान होती है यह आपकी पहचान ऐसी भी हो सकती है कि आप हमेशा के लिए पहचाने जाओ। जिंदगी में बहुत से लोग काम करते हैं उनको असफलताओं का सामना करना ही पड़ता है जो लोग दुनिया में एक पहचान बनाते हैं कर्म करके अपने मार्ग में मिल रही असफलताओं का सामना करते हैं वह दुनिया में एक पहचान बना जाते हैं इसलिए हमको भी दुनिया में एक पहचान बनाने के लिए कर्म करना चाहिए। उन लोगों की तरह जिन लोगों ने दुनिया में एक पहचान बनाई है कभी भी हमें हमारे लक्ष्य से नहीं भागना चाहिए। लक्ष्य को पाने के लिए हमेशा तैयार होना चाहिए तभी हम जिंदगी में एक सफल मनुष्य बन सकते हैं तभी हम एक पहचान बना सकते हैं। कर्म ही मनुष्य की पहचान होता है इंसान को निरंतर कर्म करना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि ----- कर्म करता चल फल की चिंता मत कर। अगर आप भी कर्म करते जाते है फल की चिंता किए बगैर तो आप अपने जीवन में एक पहचान बना सकते हो एक ऐसी पहचान की लोग आपको हमेशा हमेशा के लिए याद रख सकते हैं।

हम अच्छे कर्मों के द्वारा ही समाज में अपनी पहचान बनाते हुए, समाज में स्थापित हो सकते हैं। बिना कर्म किये इस संसार में किसी को कुछ भी नहीं प्राप्त होता है।

पूनम चतुर्वेदी छत्तीसगढ ,,