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Monday, 31 January 2022
Saturday, 1 January 2022
सफदर हाशमी शहादत दिवस पर झंडापुर साहिबाबाद में मजदूरों और कलाकारों का साझा कार्यक्रम हुआ आयोजित- गंगेश्वर दत्त शर्मा
Thursday, 30 December 2021
जिला स्तरीय बैंड प्रतियोगिता में डी.ए.वी. व ठाकुरद्वारा के छात्रों ने फहराया जीत का परचम
Sunday, 26 September 2021
आईआईटी रुड़की एल्यूमिनी एसोसिएशन ने काव्योत्सव के जरिए मनाया आजादी का जश्न TNI
Monday, 20 September 2021
बहरामपुर गाजियाबाद में दीदी की रसोई ब्रांच का हुआ उद्घाटन जरूरतमंदों को कराया भोजन- गंगेश्वर दत्त शर्मा
Monday, 13 September 2021
हिन्दी दिवस पर मैत्रेय ने दिया संदेश 'एक खत हिंदी और उर्दू के नाम लिखता हूं कर्जदार हूं दोनों का सरेआम लिखता हूं TNI
Sunday, 29 August 2021
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) गाजियाबाद का का दो दिवसीय जिला सम्मेलन सपन्न
Saturday, 14 August 2021
वायु सेना स्टेशन हिंडन में भारत के वीरता पुरस्कार विजेताओं के सम्मान में आजादी का अमृत महोत्सव
गाजियाबाद:आजादी का अमृत महोत्सव " विषय के तहत भारत के 75 वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के उपलक्ष्य में , 14 अगस्त 21 को वायु सेना स्टेशन हिंडन में वीरता पुरस्कार विजेताओं और उनके परिवारों के सम्मान में एक सम्मान समारोह आयोजित किया गया था। निम्नलिखित वीरता पुरस्कार विजेताओं के साथ कार्यक्रम के दौरान उनके परिवार के सदस्यों को किया गया सम्मानित:-
(ए) स्वर्गीय मेजर मोहित शर्मा अशोक चक्र सेना पदक
(बी) कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी वीर चक्र
2. श्री राजेंद्र प्रसाद शर्मा और श्रीमती सुशीला शर्मा, स्वर्गीय मेजर मोहित शर्मा अशोक चक्र के माता-पिता और कर्नल और श्रीमती टीपी त्यागी ने इस अवसर पर शिरकत की। एयर कमोडोर मनीष कुमार गुप्ता एवीएसएम, एयर ऑफिसर कमांडिंग, वायु सेना स्टेशन हिंडन ने वीरता पुरस्कार विजेताओं और उनके परिवारों को स्टेशन कर्मियों और अन्य आमंत्रितों की उपस्थिति में सम्मानित किया। एयर ऑफिसर कमांडिंग ने वीरता पुरस्कार विजेताओं को उनकी मेधावी सेवा के कार्यकाल के दौरान उच्चतम सैन्य मानक स्थापित करने के लिए सराहना की। GAP पोर्टल पर पंजीकृत कुल 4 छात्रों को भी इस कार्यक्रम को देखने के लिए आमंत्रित किया गया था।
3. पुरस्कार विजेताओं ने कहा कि उन्हें दिए गए इशारे से उन्हें छुआ और अत्यधिक सम्मानित महसूस किया गया। युद्धों के वीडियो क्लिप, वीरता पुरस्कार विजेताओं के साहस और वीरता को प्रदर्शित करते हुए, 1971 के युद्ध के दौरान सैनिकों के सामने आने वाली चुनौतियों और 2009 में जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान प्रत्यक्ष विवरण प्रदान करने वाले लोगों के लिए प्रदर्शित किए गए थे। . कर्नल टीपी त्यागी वीर चक्र ने उपस्थित लोगों के साथ 1971 के युद्ध के अपने अनुभव साझा किए।
Wednesday, 26 May 2021
हापुड़ विधायक विजय पाल आढ़ती ने किया हेल्प डेस्क का उद्घाटन tap news india
Tuesday, 25 May 2021
हापुड़ विधायक विजय पाल आढ़ती ने हेल्प डेस्क सरकारी अस्पताल गढ़ रोड का किया उद्घाटन tap news india
Monday, 15 March 2021
अपने अपने मकान पर सब पहुंचे एक मेरा ही घर नहीं आया :डॉ.सीता सागर
Wednesday, 6 January 2021
गाजियाबाद में आम आदमी पार्टी का ग्राम संवाद कार्यक्रम आयोजित tap news india
Tuesday, 5 January 2021
गाजियाबाद गौतमबुद्धनगर में जगह-जगह मजदूर करेंगे विरोध प्रदर्शन- गंगेश्वर दत्त शर्मा
Sunday, 20 December 2020
पुलिस के हत्थे चढ़े शराब तस्कर tap news india
Friday, 9 October 2020
सत्ता के अहंकार में गरीबों का शोषण करती सरकार
Friday, 24 July 2020
ASSP द्वारा सभी पुलिस अधीक्षक, क्षेत्राधिकारी व थाना प्रभारी के साथ किया जा रहा अपराध गोष्ठी का आयोजन
Sunday, 16 February 2020
लेखन में घातक सिद्ध होते हैं सिद्धांत और परंपरा : कमल वंदना जोशी, मनु लक्ष्मी, चारू, फलक, ज़िया और रश्मि पाठक की कहानियों पर हु
संवाददाता गाजियाबाद। कालजई रचनाएं राजनैतिक विचारधारा से मुक्त होती हैं। मौजूदा दौर राजनीतिक विचारधाराओं के पोषण का समय है। राजनैतिक विचारधारा से प्रेरित रचनाएं एक दिन स्वयं समाप्त हो जाती हैं। हिंदी की हर विधा में स्थापित रचनाकार कमलेश भट्ट 'कमल' ने मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के "कथा संवाद" में उक्त विचार प्रकट करते हुए कहा कि लेखन में सिद्धांत और परंपराएं घातक सिद्ध होती हैं। अधिकांश बड़े रचनाकारों ने खास विचारधारा को अपने लेखन पर हावी नहीं होने दिया।
होटल रेडबरी में आयोजित "कथा संवाद" के अध्यक्ष श्री कमल ने कहा कि ऐसे आयोजन नवागंतुकों की आदर्श पाठशाला हैं। यहां पढ़ी गईं तमाम रचनाएं इस बात का संकेत हैं कि इस मंच पर भविष्य के बड़े रचनाकार जन्म ले रहे हैं। मनु लक्ष्मी मिश्रा की कहानी "जीवन और संघर्ष", वंदना जोशी की कहानी "सिक्का" और अजय फलक की कहानी "मुक्ति" को उन्होंने उत्कृष्ट रचना बताया। रश्मि पाठक की कहानी "अवरोध" पर चर्चा करते हुए आलोक यात्री ने कहा कि कहानी का विषय, भाव दोनों सराहनीय हैं लेकिन वृतांत अधिक है। जिसे समेटा जाना चाहिए। श्री कमल ने कहा कि "अवरोध" में दो कहानियां समाहित हैं। जिन्हें अलग करना बेहतर होगा। चारू देव की 'मां" पर चर्चा करते हुए वरिष्ठ व्यंग्यकार व समीक्षक सुभाष चंदर ने कहा कि एक नवयौवना की दो बच्चों के विधुर पिता से विवाह की स्वीकारोक्ति को जस्टिफाई किया जाना शेष है। दीपाली जैन ज़िया की कहानी "सवाल" की नायिका राधिका पर चर्चा के दौरान वरिष्ठ पत्रकार महकार सिंह ने कहा कि दीपाली ने बोल्ड विषय पर कहानी लिखने का साहस दिखाया है। प्रासंगिक विषय पर आधारित इस कहानी को सावधानी से संवारा जाना चाहिए। 'सवाल" पर प्रश्न उठाते हुए वंदना जोशी ने कहा कि नैतिकता और अनैतिकता के बीच की इस कहानी में रोमांटिसिजम की कमी दूर कर कहानी को और सशक्त किया जा सकता है। संवाद में सीताराम अग्रवाल, सुरेंद्र सिंघल, सुभाष अखिल, डॉ. तारा गुप्ता, डॉ. बीना मित्तल, डॉ. बीना शर्मा, अक्षयवरनाथ श्रीवास्तव, रमेश शर्मा, राजेंद्र नाथ पांडेय, वागीश शर्मा, सीमा सिंह, तूलिका सेठ ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई। कार्यक्रम का संचालन दीपा जैन ज़िया ने किया। संस्था के अध्यक्ष शिवराज सिंह ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर श्रीमती प्रज्ञा पांडे, भारत भूषण बरारा, सुदर्शना, दिनेश दत्त पाठक सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।
Sunday, 9 February 2020
सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल के बच्चों ने लिया धरा, जल, पर्यावरण संरक्षण का संकल्प
पाॅम-पाॅम शो के समापन के साथ "बारादरी' का हुआ शुभारंभ
सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल के बच्चों ने लिया धरा, जल, पर्यावरण संरक्षण का संकल्प
संवाददाता
गाजियाबाद। सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल की नेहरू नगर शाखा में तीन दिवसीय पाॅम- पाॉम शो के समापन के अवसर पर मुख्य अतिथि उर्वशी अग्रवाल 'उर्वी' ने कहा कि नन्हे मुन्ने बच्चों की तमाम प्रस्तुतियां इस बात का सुबूत हैं कि स्कूल बच्चों को संस्कारित करने में सफल है। अधिकांश स्कूली कार्यक्रमों में जहां भारतीय सभ्यता का लोप हो रहा है, मंच पर पाश्चात्य संस्कृति अपनाई जा रही है, वहां इस स्कूल के बच्चों की प्रस्तुतियां भारतीय संस्कृति पोषित करने का काम कर रही हैं। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. बृजपाल सिंह त्यागी ने बच्चों द्वारा धरा, प्रर्यावरण, जल संरक्षण व स्वच्छता के प्रति जागरूकता की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। स्कूल की डायरेक्टर प्रिंसिपल डॉ. माला कपूर ने कहा कि विकास ने नाम पर हमने जो क्षति की है उसकी पूर्ति आने वाली नस्लें ही करेंगी।
दो सत्रों में आयोजित पाॅम-पाॅम शो के मध्य मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन द्वारा "कवि संवाद" का आयोजन भी किया गया। डॉ. कुंवर बेचैन की अध्यक्षता में हुए "कवि संवाद" की शुरूआत संतोष ओबराय द्वारा चंद शेरों से की गई। उन्होंने कहा "संभल कर बैठना कातिल तू मेरे सीने पर, लहू की छींट से दामन जरा बचाए हुए, कफन हटाओ ना लिल्लाह मेरे चेहरे से, गुनहगार हूं रहने दो मुंह छिपाए हुए।" मासूम गाजियाबादी ने कहा "आओ इंसानी रूहों के सौदागरों, लोग बैठे हैं बिकने को बाजार में। बेबसी से किसी की तुम्हें क्या गरज, आज तो खोटे सिक्के भी चल जाएंगे। "कवि संवाद" के केंद्र में रहीं उर्वशी अग्रवाल 'उर्वी' ने कहा कि "बारादरी" के तौर पर आयोजित यह गोष्ठी हमारे जिंदा रहने का सुबूत है। उन्होंने कहा कि मंचों और महफिलों से अलग हटकर इस तरह का समागम भी आवश्यक है। जिसमें गिनती के सुनने वाले और सुनाने वाले हों। जहां रचनाओं पर मुकम्मल तौर पर चर्चा भी हो सके। उन्होंने अपने गीत, ग़ज़ल, दोहे और महाकाव्य के अंशों से भरपूर वाह वाही बटोरी। उन्होंने फरमाया "मैं शबरी हूं राम की चखती रहती बेर, तकती रहती रास्ता, हुई कहां पर देर।" "मैं दर्शन की प्यासी हूं, घर में ही प्रवासी हूं।" काश वचन स्वीकार ना करती, मैं भी रेखा पार करती।"
डॉ. माला कपूर ने महफिल का नामकरण "बारादरी" करते हुए इन पंक्तियों "नवाज़े संग ओ ख़िश्त कुछ इस अन्दाज़ से, शर्म से वो मरमरी गुलाब हो गए। रफ़्तार ही वजह थी हवा तो बस हवा थी, रोशन हुई दहलीज़ कहीं आशियाँ जला। तुम ही मसरूफ नहीं दुनिया में बशर, गिरफ़्त में इसकी सारी कायनात है।
ख़्वाहिशों का दिया यूं डर डर के ना जला, हवाएँ हर दम आंधियों का पैग़ाम नहीं होतीं" पर भरपूर दाद बटोरी। आलोक यात्री ने "नानी की चिट्ठी" कविता पढ़ी। अंजू जैन ने फरमाया "घिसी इतनी कि चंदन हो गई हूं, झुकी इतनी कि वंदन हो गई हूं, छुआ मैंने तो पारस से लगे तुम, छुआ तुमने तो कुंदन हो गई हूं।" कार्यक्रम का संचालन दीपाली जैन "ज़िया" ने किया। उन्होंने भी अपने शेरों पर भरपूर वाहवाही बटोरी। उन्होंने कहा "तुमने बांधा है खुद को हदों में, हूं समर्पित मैं पूरी की पूरी, दो कदम मैं चलूं दो कदम तुम तब मिटेगी दूरी।" डॉ. रमा सिंह ने अपने मुक्तक और ग़ज़ल पर वाहवाही बटोरी। उन्होंने फरमाया "मौन का आसमान होता है, आंसुओं में बयान होता है, है उसे जानना बहुत मुश्किल, दर्द तो बेजुबान होता है।" डॉ. कुंवर बेचैन ने कहा "पत्थर की तरह वह तो मुझे देखता रहा, मैंने ही चलकर ताजमहल को विदा किया। कहां है वह गहराइयां हंसने हंसाने में, मिलेंगी जो किसी के साथ दो आंसू बहाने में।" मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के अध्यक्ष शिवराज सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर डॉ. मंगला वैद, कविता शरना, रेनू चोपड़ा, उमा नवानी, अतुल जैन, राजीव शर्मा, अर्चना शर्मा, वैभव शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।
Friday, 7 February 2020
सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल के बच्चों की प्रतिभा को अपर नगर आयुक्त ने सराहा
संवाददाता
गाजियाबाद। सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में आयोजित तीन दिवसीय "पॉम-पाॅम शो" के दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि एवं अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार ने कहा कि वैश्विक स्तर पर जिस पारिस्थितिकी संकट से गुजर रहे हैं, उससे आने वाली पीढ़ी और यह बच्चे ही निजात दिला सकते हैं। कवि नगर शाखा में शुक्रवार को आयोजित समारोह में श्री कुमार ने इस बात पर हैरानी जताई कि नन्हें मुन्ने बच्चे स्वच्छता, प्रर्यावरण, विकृत खान-पान और नदियों के संकट को अपनी प्रस्तुतियों का विषय चुन रहे हैं। इससे पूर्व बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र शाखा में आयोजित समारोह
को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्रीमती स्मिता सिंह ने कहा कि अभिभावक, शिक्षक और बच्चे एक ही सूत्र में बंधे हैं। उत्तर प्रदेश राजकीय औद्योगिक विकास निगम की क्षेत्रीय प्रबंधक श्रीमती सिंह ने कहा कि उनकी बेटियों की प्रारंभिक शिक्षा भी इसी स्कूल में हुई है, लेकिन उच्चतर कक्षाओं में पहुंचने के बादजूद उनका पुराने स्कूल से जुड़ाव यह साबित करता है कि गुरु शिष्य का रिश्ता गर्भनाल जैसा होता है। इस रिश्ते की दूसरी कड़ी हैं अभिभावक, जिन्हें यह सोचना चाहिए कि जिस बच्चे रूपी पौधे को उन्होंने शिक्षा के आंगन में रोपा है उसकी जड़ें मजबूत कैसे हों। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पार्षद हिमांशु मित्तल ने कहा कि यह सबसे सुखद पहलू है कि बच्चों को भारतीय संस्कृति की शिक्षा दी जा रही है।
अपने संबोधन में चेयरमैन रो. डॉ. सुभाष जैन ने कहा कि उनके नाती-पोते भी इसी स्कूल में पढ़ते हैं। लिहाजा हमारी कोशिश रहती है कि हम शिक्षा का ऐसा वातावरण बनाए रखें जो संस्कारवान बच्चों की उत्तम पौध तैयार कर सके। डॉयरेक्टर प्रिंसिपल डॉ. माला कपूर ने कहा कि स्कूल तैंतीस साल की यात्रा कर 34वें साल में प्रवेश कर गया है। इस अवधि में स्कूल की शाखाएं एक से बढ़कर तीन हो गई हैं। जो अभिभावकों के विश्वास का ही प्रतिफल हैं। उन्होंने कहा कि आज के बच्चे बहुत जल्दी परिपक्व हो रहे हैं। हमारे आचरण और भाषा को अंगीकार करने को यह आतुर रहते हैं। लिहाजा अभिभावकों को इनके सामने नकारात्मक सोच और भाव प्रकट करने से बचना चाहिए। कुछ अभिभावकों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वह बच्चों के प्रति शिक्षकों के समर्पण को समझ सकते हैं। घर में एक दो बच्चों को संभालना आसान नहीं है और यहां शिक्षक को मेढ़क सरीखी बच्चों की पूरी फौज संभालनी पड़ती है। इस अवसर पर शिक्षाविद श्रीमती संतोष ओबरॉय, वाइस प्रिंसिपल डॉ. मंगला वैद, श्रीमती बबीता जैन, नमन जैन, निधि जैन, कविता सरना, रेनू चोपड़ा, उमा नवानी, आलोक यात्री, पूर्व पार्षद मोनिका मित्तल, दीपाली जैन "जिया" व प्रतीक्षा सक्सेना सहित बड़ी संख्या में अभिभावक मौजूद थे।
Tuesday, 21 January 2020
मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन द्वारा रचनाएं की जाएंगी पुरस्कृत
गाजियाबाद। मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के "कथा संवाद" में चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के उर्दू विभागाध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध लेखक डॉ. असलम जमशेदपुरी ने कहा कि संवाद में अधिकांश रचनाकार मौजूदा दौर की नब्ज टटोलते नजर आए। पढ़ी गईं रचनाएं प्रासंगिक और सामाजिक हैं। जो सामाजिक सरोकारों से सीधे जोड़ती हैं। कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. जमशेदपुरी ने कहा कि जेहनी तौर पर हम जब जब विभाजन के कगार पर खड़े होते हैं तो ऐसी रचनाएं ही हमारा मार्ग प्रशस्त करती हैं। उन्होंने कहा कि बंटवारे को लेकर बहुत सी कहानियां लिखी गईं। मंटो की कहानियां आज भी इसलिए प्रासंगिक दिखाई देती हैं कि विषय हमेशा प्रासंगिक रहते हैं, बस बयां करने का तरीका बदल जाता है।
होटल रेडबरी मैं आयोजित "कथा संवाद" में रविंद्रकांत त्यागी, शालिनी सिन्हा, डॉ. पूनम सिंह, डॉ. प्रीति कौशिक, मनु लक्ष्मी मिश्रा एवं डॉ. असलम जमशेदपुरी ने रचना पाठ किया। इसके अलावा डॉ. बीना शर्मा, नंदिनी श्रीवास्तव व रिंकल शर्मा ने अपनी रचनाओं के प्लॉट सुनाए। लेखन तकनीक पर चर्चा करते हुए डॉ. जमशेदपुरी ने कहा कि आज कोलाज टेक्निक में कहानी लिखी जा रही है। उदाहरण स्वरूप उन्होंने इसी तकनीक पर लिखी अपनी कहानी "आधी अधूरी कहानी" के दूसरे हिस्से "मैं तुम्हारी कहानी नहीं लिख सकता" का पाठ किया। मुख्य अतिथि पंकज सिंह ने कहा कि "मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन" वैचारिक आंदोलन को सार्थक दिशा देने का काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि वैचारिक विमर्श के केंद्र और अड्डे खत्म होते जा रहे हैं। नए लेखकों के लिए वैचारिक विमर्श के अवसर भी कम हो गए हैं। श्री सिंह ने कहा कि कथा संवाद के साथ हमें "भाषा संवाद" पर भी काम करना चाहिए। भाषाएं खजानों की चाबियां हैं। फाउंडेशन सचिव दीपाली जैन "ज़िया" ने अवगत कराया कि वर्ष 2020 में पढ़ी गई कहानियों को पुरस्कृत करने के साथ उन्हें पुस्ताकार रूप में प्रकाशित भी किया जाएगा। संवाद में राजकमल, अतुल सिन्हा, सुभाष चंदर, सुभाष अखिल, डॉ.जकी तारिक़, आलोक यात्री, कमल प्रभा, डॉ. संजय शर्मा, डॉ. इरशाद स्यानवी, बलबीर सिंह, अंजलि त्यागी, हाशिम देहलवी, वाई. के. पांडेय, वागीश शर्मा, अक्षयवर नाथ श्रीवास्तव, तुलिका सेठ, विनोद दीक्षित, भारत भूषण बरारा,विनीत गौड़, पराग कौशिक, सुदामा पाल, सुरेश शर्मा "अखिल", मौहम्मद इकबाल, अभिषेक कौशिक, अरुण साहिबाबादी, एम. के. चौधरी, मृदुल कुमार, सबा सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमियों ने भागीदारी की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. तारा गुप्ता ने किया।