योगी सरकार ने प्राइवेट स्कूलों पर कसी नकेल 2018 स्वतंत्र विद्यालय अधिनियम शुल्क किया लागू

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी और और बेतहाशा फीस वृद्धि के खिलाफ 2018 स्वतंत्र विद्यालय शुल्क अधिनियम लागू कर  दिया है जिसके तहत प्राइवेट स्कूलों पर नकेल कसने का काम शुरू कर दिया है अब अगर कोई स्कूल इसकी अवहेलना करता है तो उसके खिलाफ कठोर करवाई की जाएगी नए कानूनों में प्राविधान है सभी प्राइवेट स्कूलों को अपने वेब पोर्टल पर अपने स्कूल की संरचना अपडेट करनी होगी विद्यालय द्वारा अधिक फीस बढ़ोतरी की शिकायत मिलने पर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी सभी जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति के सामने सभी प्रकरण प्रस्तुत करने की व्यवस्था शुरू की गई है इसका रूट  मैप तैयार कर लिया गया है यह नए कानून का असर है कि हर साल प्राइवेट स्कूल मनमाने तरीके से 20 से 30% की फीस बढ़ोतरी करते थे लेकिन इस साल 10% की फीस बढ़ोतरी ही कर पाए हैं।
जिस पर अभिभावकों का कहना है कि सरकार के इस निर्णय से प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी पर कुछ हद तक लगाम लगना संभव है शुल्क अधिनियम 2018 लागू होने के बाद स्कूल निर्धारित प्रतिशत के अंदर ही फीस की बढ़ोतरी कर रहे हैं जिस कारण से अभिभावकों के ऊपर से थोड़ा आर्थिक दबाव कम हुआ है उन्हें मालूम है कि अब उन्हें कितनी फीस देनी है वैसे तो अभी एक-दो कमियां छूट गई है लेकिन जब शुरुआत हो गई है तो वह कमियां भी जल्द ही पूरी कर ली जाएंगी। बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा की मजबूत इच्छा शक्ति से उत्तर प्रदेश  में शिक्षा सेवा अधिकरण का गठन हो गया है अधिकरण में अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों, अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों ,अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों, अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक उच्च प्राथमिक विद्यालयों ,तथा उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में कार्यरत अध्यापकों तथा कर्मचारियों की सेवा संबंधी विवादों का निस्तारण जल्द से जल्द किया जाएगा जिसमें अधिकरण में सेवा नियुक्त न्यायाधीश को अध्यक्ष और सदस्य बनाया जाएगा अधिकरण के गठन से बेसिक माध्यमिक और उच्च शिक्षा विभाग के खिलाफ न्यायालय में लंबित वादों में कमी आएगी और शिक्षकों को भी  त्वरित न्याय मिलेगा बताते चलें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने शैक्षिक कैलेंडर बनाकर शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन लाने में सफलता हासिल की है लेकिन यहां परिवर्तन धरातल पर कितना सही साबित होगा यह देखने का विषय है