कुम्हार की तरह बच्चे को गढ़ता है शिक्षक-सन्तोष ओबराय

संवाददाता
 गाजियाबाद। शिक्षक दिवस के अवसर पर अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान की ओर से शिक्षा के क्षेत्र में विलक्षण योगदान देने वाले महानगर के शिक्षाविदों को "श्रेष्ठ शिक्षक" सम्मान से सम्मानित किया गया। सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में आयोजित समारोह में लंबे समय तक शिक्षण कार्य से जुड़ी शख्सियत श्रीमती संतोष ओबरॉय, डॉ. माला कपूर, डॉ. मंगला वैद, श्रीमती रेनू चोपड़ा एवं श्री सुश्री कविता शरना को सम्मानित किया गया। इस  
  अपने संबोधन में श्रीमती ओबरॉय ने कहा कि शिक्षक का कार्य उस कुम्हार की तरह है जो कच्ची मिट्टी को आकार देने का काम करता है। जिस तरह कुम्हार किसी पात्र के निर्माण में उसे भीतर बाहर दोनों तरफ से गढ़ता है, उसी तरह से शिक्षक भी अपने छात्र को भीतर बाहर से गढ़ने का काम करता है। स्कूल की डायरेक्टर प्रिंसिपल डाॅ. माला कपूर ने कहा कि किसी भी छात्र का आकलन उसके प्राप्ताकों के आधार पर करने के बजाए उसकी नैसर्गिक प्रतिभा के आधार पर करना चाहिए। ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जहां शिक्षा के क्षेत्र में असफल छात्रों ने अन्य क्षेत्रों में अभूतपूर्व सफलता अर्जित की है। ईमानदार शिक्षक वही है जो कमजोर छात्र को भी सफलता के शिखर पर पहुंचाता है। स्कूल के डायरेक्टर रो. सुभाष जैन ने कहा कि शिक्षक, वकील और डॉक्टर का काम कभी समाप्त नहीं होता। उन्होंने कहा कि शिक्षा वह मंदिर है जहां हर धर्म हर संप्रदाय के बालक को राष्ट्र निर्माण की राह दिखाई जाती है।
  सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल की तीनों शाखाओं के बच्चों ने अपनी रंग बिरंगी प्रस्तुतियों से दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। पुरस्कार वितरण समारोह में डॉ. धनंजय सिंह, गोविंद गुलशन, तरुणा मिश्रा, बबीता जैन, आलोक यात्री, प्रवीण कुमार सहित बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद थे। स्कूल की ओर से भी समस्त शिक्षकों एवं स्टाफ को उपहार प्रदान किए गए।