नए ट्रैफिक कानून के समर्थन विरोध एवं उसके औचित्य पर विशेष रिपोर्ट वरिष्ठ पत्रकार भोला नाथ मिश्रा की कलम से

लोकतंत्र में सरकार जो भी कानून बनाती है वह जनता के हित में होते हैं क्योंकि कानून बनाने वाले जनता के चुने हुए रहनुमा होते हैं। सरकार जनहित में समय-समय पर नियमों कानूनों एवं संविधान में संशोधन करती रहती है। नियम कानून और दंड तीनों समाज के सभी वर्गों के हितों को ध्यान में रखकर बनाए एवं संशोधित किये जाते हैं। हमारे यहां कहावत कही जाती है कि-" ककड़ी के  चोर को फांसी नहीं दी जाती है" लेकिन जब कानून ककड़ी के चोर को फांसी देने लगता है तो कानून बनाने वाले सामाजिक व्यवस्था से कोसों दूर हो जाते है। इस समय सरकार द्वारा यातायात कानून एवं उसके तहत दिए जाने वाले दंडों में किया गया संशोधन या नया कानून चर्चा का विषय बना हुआ है और हर गली मोहल्ले चाय पान की दुकानों पर इसकी चर्चा ही नहीं हो रही है बल्कि पूरे देश में इसका समर्थन एवं विरोध ही नहीं बल्कि रोना चिल्लाना एवं बाइकों को जलाना शुरू हो गया है। इस नये ट्रैफिक कानून में जुर्माने की धनराशि इस कदर बढ़ा दी गई कि अगर जुर्माने की सभी धनराशि को जोड़ दिया जाय तो पुरानी बाइक का मूल्य भी कम हो जायेगा।इस कानून को अभी एक सप्ताह पहले लागू किया गया है और इतने ही देश समय में देश में तहलका मच गया है। यह सही है कि आज के बदलते समय में यातायात में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है और नई तकनीक से बने राजमार्गो पर रोजाना तेज रफ्तार दौड़ रहे दो पहिया एवं चार पहिया वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं और लोगों की जान इन दुर्घटनाओं में जा रही है। इन दुर्घटनाओं में कुछ दुर्घटनाएँ इत्तिफाकिया होती हैं और कुछ चालक की विभिन्न गलतियों से होती हैं।इन दुर्घटनाओं में ऐसे सवार भी होते हैं जो नवयुवक या कम उम्र के होते हैं। दुर्घटनाएं हमेशा असावधानी एवं तेज रफ्तार के साथ ही नशे से होती है। यह सही है कि इन मार्गों पर जो दुर्घटनाएं बाइक से होती हैं और लोग राजमार्ग पर गिरकर घायल हो जाते हैं उनमें जो लोग हेलमेट लगाए रहते हैं अक्सर उनकी जान बच जाती है और हेलमेट हेड इंजरी होने से बचा लेता है। यह भी सही है कि कभी-कभी विशेष परिस्थितियों में लोगों को अपने बच्चों को भी बाइक देनी पड़ती है क्योंकि जिसके घर में कोई दूसरा नहीं है उसे बीमारी आजारी में लड़के की मदद लेनी ही पड़ती है। इस नए कानून के तहत बाइक सवारों के लिए हेलमेट  न होने पर जुर्माने की दंड धनराशि बढ़ा दी गई है। सभी जानते हैं कि आज में समाज में मोटर साइकिल भीख मांगने वाले के पास भी है लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर बाइक सवार के पास जेब में हमेशा 5सौ कौन कहे सौ रूपये भी जेब में नहीं होता है क्योंकि इससे अधिक उनकी औकात नहीं होती है। इसी तरह यह भी सही है कि तमाम ऐसे भी लोग हैं जिनके पास बाइक चलाने का लाइसेंस उपलब्ध नहीं होता है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि वह गाड़ी नहीं चला पाते हैं। नए कानून में लाइसेंस न होने पर भी जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई है। सरकार द्वारा बनाए गए यातायात के नियमों को हम गलत नहीं कहते हैं बल्कि उन्हें जरूरी समझते हैं फिर भी सरकार द्वारा बनाया गया नया यातायात कानून आम जनता के गले नहीं उतर रहा है। इसी तरह चार पहिया वाहनों पर भी नए कानून में शिकंजा कसा गया है और विभिन्न यातायात नियमों के उल्लंघन करने पर दंड की राशि बढ़ा दी गई है। सरकार ने नए यातायात कानून में  ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर जुर्माने की धनराशि तो बढ़ा दी गई है लेकिन सरकार की तमाम अव्यवस्थाओं के चलते होने वाले हादसों पर रोक लगाने की व्यवस्था या हर्जाने  की राशि में वृद्धि नहीं की गई।इतना ही नहीं नये कानून को बिना जनमानस को बताये ही लागू कर दिया गया है जबकि यातायात नियमों की जानकारी आमजनों को देना सरकार का दायित्व बनता है।नये या पुराने कानून के बारे में सत्तर फीसदी से ज्यादा लोग आज भी अनभिज्ञ हैं जबकि यातायात कानून नया नहीं बल्कि बहुत पहले से ट्रैफिक नियम बना है। सरकार हर साल लोगों को यातायात नियमों की जानकारी आमजन को देने के लिए विशेष यातायात पखवाड़ा मनाती है लेकिन वह मात्र औपचारिकता निभाने तक सीमित रहता है।यह सही है कि यातायात नियमों के उल्लंघन के चलते तमाम लोगों की मौते हो रही हैं जिन्हें रोकना सरकार का दायित्व बनता है लेकिन मौतों को रोकने के नाम पर औकात से ज्यादा भारी भरकम जुर्माना वसूलना भी उचित नहीं है।नये कानून के पहले बने कानून को सख्ती से लागू करने की जरूरत थी न कि जुर्माने की राशि बढ़ाने की। सभी जानते हैं कि रोजाना होने वाले हादसों में तमाम हादसे सड़क के किनारे अतिक्रमण एवं जंगली एवं आवारा पशुओं के कारण होते हैं। दुर्घटनाओं में कमी करने एवं होने वाली मौतों पर रोक लगाने के लिए सड़क पर चलने वालों के लिए सड़क सुरक्षा प्रदान करना सरकार का दायित्व होता है। धन्यवाद।। सुप्रभात/ वंदेमातरम/ नमस्कार/ गुडमॉर्निंग/नमस्कार/अदाब/शुभकामनाएं।।ऊँ भूर्भुवः स्वः------/ऊँ नमः शिवाय।।।
भोलानाथ मिश्र
वरिष्ठ पत्रकार/समाजसेवी
रामसनेहीघाट, बाराबंकी यूपी